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Kundli Tv- कुंडली में बैठा है गुरु ग्रह तो घर के मंदिर से आज ही हटा दें ये चीज़ें

Edited By Jyoti,Updated: 01 Nov, 2018 03:36 PM

guru grah into your kundli then do this remedy

ज्योतिष शास्त्र में नव ग्रह के बारे में बहुत सी बातों के बारे में बताया गया है, जैसे कैसे यह ग्रह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अपना असर दिखाते हैं। आज हम बात कर रहे हैं कुंडली में बैठे गुरु ग्रह की।

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ज्योतिष शास्त्र में नव ग्रह के बारे में बहुत सी बातों के बारे में बताया गया है, जैसे कैसे यह ग्रह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अपना असर दिखाते हैं। आज हम बात कर रहे हैं कुंडली में बैठे गुरु ग्रह की। कहा जाता है कि जिस किसी की कुंडली में गुरु ग्रह बैठ जाता है उसके जीवन में कई परेशानिया खड़ी हो जाती हैं। तो वहीं लाल किताब के कुछ ज्योतिष टिप्स के अनुसार अगर किसी की कुंडली में बृहस्पति ग्रह बैठ जाए तो उस घर में कभी भी मंदिर नही बनाना चाहिए। आइए विस्तार में जानते हैं कि आखिर एेसा किन हालातों में होता है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कुंडली के चौथे और सातवें भाव में गुरु हो तो घर में  पूजा घर का बनाना नुकसानदायक होता है। खासकर ऐसा मंदिर जिसमें गुंबद या जिसका शिखर हो।

इसके अलावा घर में भगवान की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं भी नहीं रखनी चाहिए। बता दें कि कि यह मूर्तियां देवी या देवता की न होकर बस सजावट की भी हो सकती है। इसलिए किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को अपनी कुंडली दिखाकर यह निर्णय लें तो बेहतर होगा।

चौथा 
अगर कुंडली के चौथे भाव में गुरु उच्च न हो तो सवधानी बरतें। बदनामी हो सकती है। बहन, पत्नी और मां का सम्मान करें।
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सातवां
गुरु का सप्तम भाव में होने से घर के मंदिर का होना या मंदिर का निर्माण करवाने से  परिवार की बर्बादी होती है। इससे बचने के लिए कपड़ों का दान बिल्कुल न करें और पराई स्त्री से भी संबंध न रखें।

दसवां
कहा जाता है कि ऐसा गृहस्‍थ जो बच्चों को अकेला छोड़कर चला जाए। यहां बैठा गुरु अशुभ फल देता है। इससे बचने के लिए ईश्वर और भाग्य पर भरोसा तो करें लेकिन सफल होने के लिए श्रम और कर्म हो ही अपनाएं।

शादी के बाद किसी भी दूसरी स्त्री से संबंध न रखें अन्यथा सब कुछ बर्बाद हो सकता है। अगर शनि 1, 10, 4 में हो तो किसी को खाने या पीने की कोई भी वस्तु न दें। दया का भाव घातक होगा।
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इसके अलावा इन बातों का भी रखें ध्यान-
गुरु सप्तम भाव में हो तो कपड़ों का दान न करें।

गुरु दशम या चौथे भाव में है तो घर या बाहर मंदिर न बनवाएं।

गुरु नवम भाव में है तो मंदिर आदि में दान नहीं करना चाहिए।

गुरु पांचवें भाव में है तो धन का दान नहीं करना चाहिए।

गुरु बलवान होने पर- पुस्तकों का उपहार नहीं देना चाहिए।
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पिता, दादा, गुरु, देवता का सम्मान नहीं करता है तो बर्बादी।

झूठ बोलने और धोखा देने से भी बर्बादी होती है। 
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