Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Jul, 2024 02:40 PM
सनातन धर्म में हर माह आने वाले प्रदोष व्रत को बहुत ही शुभ और खास माना जाता है। प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में किया जाता है। दोनों व्रत का अपना अलग-अलग महत्व होता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Guru Pradosh Vrat 2024: सनातन धर्म में हर माह आने वाले प्रदोष व्रत को बहुत ही शुभ और खास माना जाता है। प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में किया जाता है। दोनों व्रत का अपना अलग-अलग महत्व होता है। आषाढ़ माह का अंतिम प्रदोष व्रत 18 जुलाई, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा करने और व्रत रखने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। साथ ही हर परेशानी से छुटकारा मिलता है। तो आइए जानत हैं गुरु प्रदोष के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में-
Guru Pradosh fast auspicious time गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई को शाम 08 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 19 जुलाई को शाम 07 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन प्रदोष काल संध्याकाल 08 बजकर 44 मिनट से लेकर 09 बजकर 22 मिनट तक है।
Importance of Guru Pradosh Vrat गुरु प्रदोष व्रत महत्व
आषाढ़ माह का अंतिम प्रदोष व्रत 18 जुलाई, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। माना जाता है कि इस दिन शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्यता, गुण, ऐश्वर्य, धन, समृद्धि आदि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही गुरु प्रदोष का व्रत रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है।
Method of worship of Guru Pradosh fast गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि
गुरु प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
अब घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद शाम के समय शिव मंदिर में घी का दीपक जलाएं।
फिर शिव जी का गंगा जल से अभिषेक करें।
अब शिव जी को फूल, फल, अक्षत और अगरबत्ती अर्पित करें।
इसके बाद शिव जी की कथा सुनें और मंत्रों का जाप करें।
अंत में शिव जी की आरती करें और अपनी भूल की क्षमा प्रार्थना भी करें।