Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Feb, 2021 06:21 AM
श्री गुरु रविदास जी का मानना था कि किसी भी कुल या जाति में जन्म लेने से या ऊंचा नाम रखने से कोई व्यक्ति गुणवान या गुणहीन नहीं होता। परमेश्वर किसी जाति, धर्म, कौम की निजी सम्पत्ति नहीं, ईश्वर का
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2021 Guru Ravidas Jayanti- श्री गुरु रविदास जी का मानना था कि किसी भी कुल या जाति में जन्म लेने से या ऊंचा नाम रखने से कोई व्यक्ति गुणवान या गुणहीन नहीं होता। परमेश्वर किसी जाति, धर्म, कौम की निजी सम्पत्ति नहीं, ईश्वर का द्वार प्रत्येक मनुष्य के लिए खुला है। प्रभु के दरबार में राज महल में प्रवेश के समान कोई रोक-टोक या प्रतिबंध नहीं है। मनुष्य की पहचान जाति या कुल से नहीं बल्कि कर्मगत शुद्धता, विवेक, शुद्ध मानसिकता और ऊंचे आचरण से है। माजिक क्रांति के अग्रदूत, कर्मयोगी श्री गुरु रविदास जी महाराज का जन्म 1433 सम्वत् विक्रमी माघ शुक्ल पूर्णिमा प्रविष्टे (पंद्रह) दिन रविवार को काशी, बनारस (उत्तर प्रदेश) में हुआ।
What is the birth anniversary of Guru Ravidas- रविदास जी को उस समय अलग-अलग रियासतें और विभिन्न लिपियां होने के कारण अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। आप मेहनत से की हुई सारी कमाई, संगत और लंगर की सेवा में लगा देते थे। आपकी धर्मपत्नी का नाम लोना था जो मिर्जापुर से थीं। वह रविदास जी के हर कामकाज में सब्र, संतोष और कर्मशीलता के साथ हाथ बंटाती थीं।
Guru Ravidas ji parkashotasav- श्री गुरु रविदास जी सीधे-सादे उच्चकोटि के महान आध्यात्मिक गुरु, हर बात को तर्क की कसौटी पर परखने वाले, निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे। आप की धारणा थी कि इस धरती पर जन्म लेने वाला प्रत्येक प्राणी सदाचार की बुनियाद पर अपने जीवन को ढाल कर ज्ञान और कर्मयोग की स्थिति प्राप्त कर सकता है और प्रभु की वंदना द्वारा आनंदमय अवस्था में रत होकर अपना जीवन सार्थक कर सकता है।
Guru Ravidass Jayanti- श्री गुरु रविदास जी का मानना था कि किसी भी कुल या जाति में जन्म लेने से या ऊंचा नाम रखने से कोई व्यक्ति गुणवान या गुणहीन नहीं होता। परमेश्वर किसी जाति, धर्म, कौम की निजी सम्पत्ति नहीं, ईश्वर का द्वार प्रत्येक मनुष्य के लिए खुला है।
प्रभु के दरबार में राज महल में प्रवेश के समान कोई रोक-टोक या प्रतिबंध नहीं है। मनुष्य की पहचान जाति या कुल से नहीं बल्कि कर्मगत शुद्धता, विवेक शुद्ध मानसिकता और ऊंचे आचरण से है। श्री गुरू रविदास जी ने कर्म मार्ग, ज्ञान मार्ग और प्रेम भक्ति मार्ग को पहल देते हुए कर्मकांडी मायाजाल का खंडन किया है।
What is the birthplace of Guru Ravidass- आप ने नाम सिमरन करना, नेक कमाई करना और बांट कर खाने का सन्मार्ग बताने के साथ-साथ समूची कायानात को रूहानियत का मार्ग भी दिखाया। आपका पवित्र जीवन ही निर्गुण नाम रूपी भक्ति या सहज प्रेमा भक्ति और नेक कमाई, शुद्ध व्यवहार के सर्वोत्तम संकल्प का अद्भुत उदाहरण है।
आपका दृष्टिकोण सर्वव्यापक और समूची कायनात के लिए था। आप कोई अलग धर्म नहीं बनाना चाहते थे तथा पूरे समाज की भलाई के लिए, ऊंच-नीच को खत्म करने के लिए और हर इंसान की समानता के लिए समाज को धर्म के ठेकेदारों की धार्मिक गुलामी से मुक्त करवाना चाहते थे। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए गुरु जी ने अपना सारा जीवन मानवता की सेवा को समर्पित करते हुए बिताया।
Ravidas Birth Anniversary- अपने उस समय के अहंकारी, विलासी और अत्याचारी राजाओं के मानवता विरोधी काले कानूनों को नकारते हुए उन्हें उन्हीं के दरबार में कई बार सीधी चुनौती दी। इसी कारण आपको अपने जीवन में अनेक कष्ट भी सहने पड़े परन्तु आपने किसी भी ऐसी बात से समझौता नहीं किया जो मानवता विरोधी और आपसी भाईचारे को नष्ट करने वाली हो। इतिहास गवाह है कि उस समय के तथाकथित विद्वान और तथाकथित उच्च जाति के राजा-महाराजा भी आपके त्याग, सदाचार, चरित्र और तर्कशील बुद्धि के सामने टिक नहीं सके। उन्होंने आपके चरणों में नतमस्तक होकर आप से ज्ञान प्राप्त करके अपने जीवन को सफल बनाया और आपके द्वारा बताए गए मार्ग पर चल कर अपना नाम भी इतिहास के सुनहरी पन्नों में दर्ज किया।
Guru Ravidass birth anniversary- उन्हीं राजाओं में से मुख्य रूप से सुल्तान सिकंदर लोधी का जिक्र आता है जिसने आपके धैर्य, साहस, ज्ञान और विवेक बुद्धि के कारण अपनी गलती का एहसास होने पर पश्चाताप करने हेतु आपके चरणों में गिरकर क्षमा याचना करते हुए आपसे ज्ञान लिया। उसने अपने जीवन को धन्य बनाते हुए श्री गुरु जी को सैंकड़ों एकड़ भूमि दिल्ली में उपहार के रूप में भेंट की ताकि आपके द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलकर लोग अपना जीवन सफल बना सकें।
Guru Ravidas Jayanti 2021- श्री गुरु जी ने पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश आदि कई स्थानों की अपनी धार्मिक यात्राओं के दौरान सत्संग करके अपनी विचारधारा का सफलतापूर्वक प्रचार करके लोगों को सच्चे मानव धर्म के मार्ग पर अग्रसर किया। श्री गुरु जी की शिक्षाओं का चमत्कार ही था कि राणा सांगा, राजा भोजराज, राजा बैन सिंह, मीरा बाई आदि 52 राजा-रानियों तथा हर वर्ग, जाति और धर्म से सम्बन्धित करोड़ों लोगों ने उनकी शरण ग्रहण की।
644th Birth Anniversary of Guru Ravidas- इस बार हम श्री गुरु रविदास महाराज जी का 644वां जन्मोत्सव 27 फरवरी, 2021 को मना रहे हैं। आज समय की आवश्यकता है कि इस नाजुक दौर में हम उनके बताए हुए मार्ग पर चल कर मानवता की रक्षा करें।