Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Oct, 2024 11:42 AM
आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे। यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल होती है
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Guru Vakri 2024: आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे। यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल होती है 120 दिन के लिए। सूर्य यदि आपकी कुंडली में लगन में पड़े हैं तो यदि शनि पंचम में आ जाएंगे और डिग्री कली 120 डिग्री पार कर जाएंगे तो वो वक्री हो जाएंगे। ऐसा ही गुरु और मंगल के साथ भी होता है। शास्त्र कहता है कि वक्री प्लेनेट जो होता है उसका चेष्टा बल बढ़ जाता है। चेष्टा बल बढ़ने का मतलब यह है कि ग्रह जो अपने अच्छे या बुरे परिणाम बहुत तेजी से करता है और इसी कारण इसका अचानक से असर नजर आता है। खासतौर पर शनि जो वक्री अवस्था में बहुत जो है वो कई बार मार्क रिजल्ट कर जाते हैं। यदि आपकी कुंडली में वो मार्क स्थानों में पड़े हो और कुंडली में नेटिव कुंडली में भी वक्री अवस्था में हों तो यह तो वक्री और मार्गी का कांसेप्ट है।
मेष राशि के लिए गुरु का प्रभाव
मेष राशि एक ऐसी राशि है जिसके लिए गुरु जो है वो भाग्य स्थान के स्वामी हो जाते हैं। भाग्य स्थान के स्वामी का वक्री अवस्था में चले जाना शुभ गोचर में है। प्लेनेट दो तरीके से फल करते हैं। एक आपके महादशा या अंतर्दशा चल रही है दूसरा वो ट्रांजिट में आपके लिए अच्छा या बुरा परिणाम करते हैं। मेष राशि से गुरु दूसरे भाव में गोचर कर रहे हैं। यह धन का भाव होता है। धन के भाव के कारक भी गुरु होते हैं, गुरु कुंडली में धन के भाव के कारक होने के साथ-साथ पंचम भाव के कारक हैं जो आपके बुद्धि विवेक का भाव होता है। नौवां भाव भाग्य का स्थान होता है, अध्यात्म का स्थान होता है उसके कारक गुरु होते हैं और 11वां भाव आपकी आय का वृद्धि का एलिवेशन का इच्छाओं का भाव होता है। गुरु इतने इंपोर्टेंट ग्रह है आपकी कुंडली में चार घरों को सीधा तौर पर प्रभावित करते हैं। क्योंकि वो चार घरों के कारक होते हैं तीन घरों पर गुरु की दृष्टि जाती है एक घर में गुरु खुद बैठते हैं।
मेष राशि के लिए गुरु शुभ गोचर में चल रहे हैं। दूसरे भाव का गुरु का गोचर शुभ होता है तो यहां पर मेष राशि के जातकों को धन के तो निश्चित तौर पर फल करेंगे। गुरु की दृष्टि जा रही है छठे भाव के ऊपर। गुरु की तीन दृष्टियां होती हैं पांचवीं दृष्टि छठे भाव के ऊपर जा रही है, सातवीं दृष्टि अष्टम भाव के ऊपर जा रही है और दशवी दृष्टि आपके कर्म स्थान के ऊपर जा रही है। ये चार भाव गुरु सीधे तौर पर प्रभावित करेंगे। वक्री अवस्था में है और शुभ गोचर में है तो निश्चित तौर पर वो अपना शुभ फल करना चाहेंगे। कर्म स्थान के ऊपर दृष्टि है कर्म का फल करेंगे। छठे के ऊपर दृष्टि है छठे का फल करेंगे। यदि आपके ऊपर कोई कर्ज है तो कर्ज वाली स्थिति में राहत मिलती हुई आपको नजर आ सकती है। यदि कोई कोर्ट केस चल रहा है तो कोर्ट केस में आपको थोड़ी सी राहत मिलती हुई नजर आ सकती है। यदि आप किसी रोग से पीड़ित है तो हो सकता है कि गुरु वहां पर आपको रोग से राहत देने का काम करें। यदि आपका काम रिसर्च से जुड़ा हुआ है तो रिसर्च से जुड़े लोगों के लिए यह काम यह समय काफी अच्छा रहने वाला है। यहां अचानक धन लाभ हो सकता है क्योंकि अष्टम से अचानक धन लाभ भी देखा जाता है। यदि आप कारोबार करते हैं तो कारोबार के लिहाज से समय अच्छा है क्योंकि दशम स्थान के ऊपर गुरु की दृष्टि है। यदि आप नौकरी करते हैं तो नौकरी के लिहाज से भी समय अच्छा है क्योंकि यहां पर आपका अपने कार्यस्थल पर प्रभाव बढ़ेगा। आप निश्चित तौर पर ज्यादा कॉन्फिडेंट पाएंगे। भाग्य स्थान का स्वामी वक्र अवस्था में है तो लिहाजा आप जो भी काम करेंगे वहां पर आपको उसके बेटर रिजल्ट मिलते हुए नजर आएंगे। मेष राशि के जातकों के लिए 120 दिन तक जो जब यह गुरु वक्री रहेंगे वह निश्चित तौर पर अच्छा रिजल्ट कोई न कोई जरूर कर जाएंगे। यदि आप सिंगल है तो हो सकता है कि आपको कोई न कोई लाइफ में मिल भी जाए क्योंकि गुरु पंचम के भी कारक होते हैं तो पंचम निश्छल प्रेम का भाव होता है। जिनको संतान नहीं है उनको संतान प्राप्ति भी हो सकती है।
मेष राशि के जातकों के लिए गुरु के इस वक्री अवस्था में रहने के दौरान और यदि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन खराब है तो ये उपाय अवश्य करें -
जरूरतमंदों कोज्ञान बांटे।
ॐ बृं बृहस्पतये नम: का जाप करें।
चने की दाल या फिर पीला वस्त्र गुरुवार के दिन दान करें।
इसके अलावा आप पुखराज धारण कर सकते हैं लेकिन पुखराज धारण करने से पहले यह जरूर सुनिश्चित करिए कि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन छठे, आठवें, 12वें भाव में दूसरा भाव में हो।
नरेश कुमार
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