Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Oct, 2024 01:12 PM
आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे। यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल होती है
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Guru Vakri 2024: आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे। यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल होती है 120 दिन के लिए। सूर्य यदि आपकी कुंडली में लगन में पड़े हैं तो यदि शनि पंचम में आ जाएंगे और डिग्री कली 120 डिग्री पार कर जाएंगे तो वो वक्री हो जाएंगे। ऐसा ही गुरु और मंगल के साथ भी होता है। शास्त्र कहता है कि वक्री प्लेनेट जो होता है उसका चेष्टा बल बढ़ जाता है। चेष्टा बल बढ़ने का मतलब यह है कि ग्रह जो अपने अच्छे या बुरे परिणाम बहुत तेजी से करता है और इसी कारण इसका अचानक से असर नजर आता है। खासतौर पर शनि जो वक्री अवस्था में बहुत जो है वो कई बार मार्क रिजल्ट कर जाते हैं। यदि आपकी कुंडली में वो मार्क स्थानों में पड़े हो और कुंडली में नेटिव कुंडली में भी वक्री अवस्था में हों तो यह तो वक्री और मार्गी का कांसेप्ट है।
कन्या राशि के जातकों पर ऐसा रहेगा इसका असर
कन्या राशि के जातकों के लिए गुरु नाइंथ हाउस से गोचर कर रहे हैं, यह भाग्य का स्थान होता है। भाग्य स्थान के गुरु कारक भी होते हैं अब कन्या राशि एक ऐसी राशि है जिसके लिए गुरु दो भावों के स्वामी हो जाते हैं। केंद्र के चौथा भाव जहां पर गुरु की मूल त्रिकोण राशि धनु आती है और सप्तम भाव जहां पर गुरु की दूसरी राशि मीन आती है इसके अलावा गुरु यहां पर आपको चार जिन घरों के वो कारक होते हैं। गुरु धन के कारक गुरु सत भाव के कारक हैं और आय भाव के कारक है और गुरु भाग्य स्थान के कारक हैं।
कन्या राशि के जातक उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र होता है। सूर्य का उसमें पैदा होते हैं या फिर हस्ता नक्षत्र होता है। चित्रा नक्षत्र जो मंगल का नक्षत्र है उसके दो चरण है वह कन्या राशि में आते हैं। इसका मतलब यह है कि जो जातक है कन्या राशि के जब युवावस्था में आते हैं। जब करियर पीक पर जा रहा होता है या करियर शुरू होता होता है तो यहां पर गुरु की महादशा उनको लग जाती है और गुरु की महादशा में ही करियर वह राइज करता है। गुरु की महादशा में ही जाता है क्योंकि महादशा 16 साल चलती है और यह 16 साल के पीरियड में गुरु डेफिनेटली बहुत अच्छे रिजल्ट करके जाते हैं। गुरु दोनों केंद्रों के स्वामी होते हैं इस भाव के लिए इस राशि के लिए तो यहां पर इसका नाइंथ हाउस से गोचर करेगा। आपकी राशि के ऊपर दृष्टि होने का मतलब यह है कि यह पॉजिटिविटी लाने का काम काम करेंगे। मानसिक, शारीरिक तौर पर भी आप थोड़ा सा खुद को फिट पाएंगे और डेफिनेटली आपको इसका अच्छा रिजल्ट मिलेगा। गुरु की सातवीं दृष्टि यहां पर सीधे पराक्रम भाव में जा रही है। पराक्रम भाव में जाने का मतलब है कि कोई भी आप काम करेंगे वह पूरी डिटरमिनेशन के साथ करेंगे। पराक्रम भाव गुरु के द्वारा एक्टिव है तो पॉजिटिव साइड में आपका पराक्रम इस्तेमाल होगा। यहां पर गुरु नाइंथ दृष्टि आपके पंचम भाव के ऊपजा रही है। संतान पक्ष से अच्छी खबर आ सकती है यदि संतान नहीं है तो संतान की प्राप्ति हो सकती है। आप धार्मिक यात्रा कर सकते हैं। भाग्य आपका साथ देता हुआ नजर आएगा। अध्यात्म में आपकी रुचि बढ़ती हुई नजर आएगी। यहां पर गुरु का होने का मतलब ये है कि गुरु इस भाव के कारक भी है। इस भाव के पॉजिटिव फल आपको मिलते हुए नजर आएंगे। इसके अलावा गुरु दो केंद्र भावों के स्वामी है। चौथा भाव पर गुरु की धनु राशि है, ये सुख स्थान कहलाता है। इन चार महीनों के दौरान जिसमें आप एसेट्स खरीदने का प्रयास करें और वो प्रयास आपका डेफिनेटली सफल होता हुआ नजर आएगा। इस राशि के जो जातक सिंगल हैं उनके लिए भी समय डेफिनेटली अच्छा है क्योंकि सप्तम भाव में गुरु की अपनी राशि पड़ी है।
यहां पर गुरु शुभ गोचर में है तो जिनको शादी की दरकार है यानी कि जिनके घर वाले लड़की ढूंढ रहे थे तो लाइफ में कोई आ सकता है। लाइफ में नया मेहमान भी आ सकता है। जैसे मैंने पहले बताया कि पंचम संतान का भी भाव होता है तो ये कन्या राशि के जातकों के लिए गुरु का वक्री होना 120 दिन के लिए बहुत अच्छे परिणाम लेकर आएगा। यदि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन खराब है तो ये उपाय जरूर करें-
जरूरतमंदों को ज्ञान बांटे।
ॐ बृं बृहस्पतये नम: का जाप करें।
चने की दाल या फिर पीला वस्त्र गुरुवार के दिन दान करें।
इसके अलावा आप पुखराज धारण कर सकते हैं लेकिन पुखराज धारण करने से पहले यह जरूर सुनिश्चित करिए कि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन छठे, आठवें, 12वें भाव में दूसरा भाव में हो।
नरेश कुमार
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