Guru Vakri 2024: 120 दिन के लिए गुरु चलेंगे उल्टी चाल, मकर राशि पर ऐसा होगा इसका असर

Edited By Prachi Sharma,Updated: 08 Oct, 2024 10:09 AM

आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे। यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल होती है

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Guru Vakri 2024:  आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे। यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल होती है 120 दिन के लिए। सूर्य यदि आपकी कुंडली में लगन में पड़े हैं तो यदि शनि पंचम में आ जाएंगे और डिग्री कली 120 डिग्री पार कर जाएंगे तो वो वक्री हो जाएंगे। ऐसा ही गुरु और मंगल के साथ भी होता है। शास्त्र कहता है कि वक्री प्लेनेट जो होता है उसका चेष्टा बल बढ़ जाता है।  चेष्टा बल बढ़ने का मतलब यह है कि ग्रह जो अपने अच्छे या बुरे परिणाम बहुत तेजी से करता है और इसी कारण इसका अचानक से असर नजर आता है। खासतौर पर शनि जो वक्री अवस्था में बहुत जो है वो कई बार मार्क रिजल्ट कर जाते हैं। यदि आपकी कुंडली में वो मार्क स्थानों में पड़े हो और कुंडली में नेटिव कुंडली में भी वक्री अवस्था में हों तो यह तो वक्री और मार्गी का कांसेप्ट है। 

मकर राशि के जातकों पर ऐसा रहेगा इसका असर 

गुरु वक्री अवस्था में चले जाएंगे। मकर राशि हालांकि एक ऐसी राशि है जिसके लिए गुरु अच्छा रिजल्ट नहीं करते क्योंकि गुरु की धनु राशि 12वें भाव में आ जाती है। ये मूलत्रिकोण राशि है और दूसरी राशि मीन है वो आ जाती है तीसरे भाव में।  ये दोनों ही भाव अच्छे नहीं समझे जाते लेकिन इसके बावजूद जब गुरु गोचर में आते हैं अच्छे गोचर में आते हैं तो बहुत अच्छे रिजल्ट करते हैं। मकर राशि के जितने भी जातक हैं वो या तो उत्तराषाढ़ा नक्षत्र जो सूर्य का नक्षत्र है इसमें पैदा होते हैं। इसके तीन चरण इसमें आते हैं और श्रवण नक्षत्र जो चंद्रमा का नक्षत्र है उस नक्षत्र में पैदा होते हैं इसके दो चरण इस राशि में आते हैं और धनिष्ठा नक्षत्र जो मंगल का नक्षत्र है इस नक्षत्र में पैदा होते हैं इसके दो चरण इसमें आते हैं तो कुल मिलाकर मकर राशि के जितने भी जातक हैं उनका जन्म या तो सूर्य के नक्षत्र में होता है या चंद्रमा के या मंगल के अब यह जातक जब बड़े खास होते हैं। इसका मतलब यह है कि इस समय भी जितने लोग 30 से 50 के बीच हैं उनके ऊपर गुरु की महादशा चल रही है। गुरु अच्छे गोचर में है और अच्छे गोचर का प्लेनेट वक्री अवस्था में चला गया तो डेफिनेटली आपको उसका अच्छा रिजल्ट मिलेगा। मकर राशि के लिए पांचवीं दृष्टि गुरु की नाइंथ हाउस के ऊपर जा रही है। नाइंथ हाउस आपका भाग्य स्थान होता है, यहां से आध्यात्म का विचार किया जाता है। गुरु इस भाव के कारक ग्रह हैं यह कुंडली का सबसे शुभ भाव होता है और गुरु जहां पर विराजमान है इस समय पंचम में वह दूसरा सबसे शुभ भाव होता है। यह दोनों ही त्रिकोण के भाव है इसका मतलब यह है कि यहां पर महादशा नाथ जो 30 से 50 साल के बीच में है। वह इस समय गुरु की महादशा से गुजर रहे होंगे। करियर के लिहाज से जब करियर शुरू होता है या ऊंचाई पर जाना जा रहा होता है तो गुरु ही यहां पर रूलिंगमें आ जाते हैं। तो यहां पर भाग्य स्थान के ऊपर गुरु की दृष्टि इसका मतलब यह है कि कोई भी आप काम करेंगे तो डेफिनेटली यहां पर गुरु आपको हेल्प करते हुए नजर आएंगे। इस वक्री अवस्था में ऐसा हो सकता है कि आप बहुत ज्यादा अध्यात्मिक की तरफ जुड़ जाएंगे धार्मिक यात्रा आपकी ज्यादा बढ़ सकती है। यह गुरु के प्रभाव के कारण होगा चूंकि पंचम में गुरु बैठे हुए हैं तो पंचम सुत का भाव होता है। आपके यहां पर संतान नहीं है तो संतान की प्राप्ति हो सकती है।  यदि आपका रिश्ता नहीं हुआ है तो रिश्ता हो सकता है। कोई भी आप काम करेंगे इस अवधि में तो वो पूरे बुद्धि-विवेक के साथ करेंगे। यहां पर गुरु की सातवीं दृष्टि सीधा जा रही है आपके आय स्थान के ऊपर। गुरु इस भाव के भी कारक है।  गुरु कुंडली में चार भावों के कारक होते हैं। गुरु कुंडली में चार में से उन तीन भावों को एक्टिव कर रहे हैं जिनके वो कारक हैं। दसवां कर्म होता है 11वां आपकी आय होती है। तो यहां पर आय भाव भी गुरु के द्वारा एक्टिव होगा और गुरु वक्री अवस्था में आय भाव को एक्टिव करते हुए आपको प्रतिष्ठा भी देंगे। 11वां भा इच्छाओं का भाव होता है। 

ऐसा संभव है कि जिनकी तरक्की रुकी हुई है। गुरु की वक्री अवस्था में यह तरक्की उनकी हो जाए और उनको उसका बहुत बेटर रिजल्ट मिलेगा। आय में वृद्धि निश्चित तौर पर होती हुई नजर आएगी। गुरु की एक दृष्टि यहां पर आपकी राशि के ऊपर जा रही है। इसका मतलब यह है कि गुरु आपको पॉजिटिव रखेंगे त्रिकोण भाव का गुरु के द्वारा एक्टिव होना बहुत अच्छा है। 11थ हाउस का एक्टिव होना बहुत अच्छा है हालांकि 12वें भाव से संबंधित सिग्निफिकेंट कुछ खराब हो सकते हैं। खर्चे थोड़े से बढ़ते हुए नजर आ सकते हैं। गुरु तीसरे भाव के भी फल करेंगे, तीसरे भाव के पॉजिटिव फल यह हो सकते हैं। कॉन्फिडेंस से आप काम करते हुए नजर आएंगे। 12वें भाव का पॉजिटिव फल ये हो सकता है कि आप विदेश यात्रा भी कर सकते हैं। इस अवधि के दौरान नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों ही फल मिल सकते हैं। तो यह मकर राशि के जात के लिए डेफिनेटली बहुत अच्छा होने जा रहा है। 

यदि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन खराब है तो ये उपाय जरूर करें- 

जरूरतमंदों को ज्ञान बांटे। 

ॐ बृं बृहस्पतये नम: का जाप करें। 

चने की दाल या फिर पीला वस्त्र गुरुवार के दिन दान करें। 

इसके अलावा आप पुखराज धारण कर सकते हैं लेकिन पुखराज धारण करने से पहले यह जरूर सुनिश्चित करिए कि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन छठे, आठवें, 12वें भाव में दूसरा भाव में हो। 

नरेश कुमार
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