Edited By Prachi Sharma,Updated: 09 Oct, 2024 11:58 AM
आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे। यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल होती है
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Guru Vakri 2024: आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे। यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल होती है 120 दिन के लिए। सूर्य यदि आपकी कुंडली में लगन में पड़े हैं तो यदि शनि पंचम में आ जाएंगे और डिग्री कली 120 डिग्री पार कर जाएंगे तो वो वक्री हो जाएंगे। ऐसा ही गुरु और मंगल के साथ भी होता है। शास्त्र कहता है कि वक्री प्लेनेट जो होता है उसका चेष्टा बल बढ़ जाता है। चेष्टा बल बढ़ने का मतलब यह है कि ग्रह जो अपने अच्छे या बुरे परिणाम बहुत तेजी से करता है और इसी कारण इसका अचानक से असर नजर आता है।
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह गोचर यह वक्री होना बहुत अच्छा है। इसका कारण यह है कि यहां पर यह गोचर सप्तम भाव में हो रहा है। यहां पर गुरु सप्तम भाव में बैठे हैं, यह शादी का स्थान होता है। यहां पर गुरु बैठकर बहुत अच्छा रिजल्ट करेंगे। वृश्चिक राशि मंगल की राशि है। गुरु और मंगल आपस में मित्र भाव रखते हैं इसलिए वृश्चिक राशि के लिए गुरु वैसे ही अच्छे रिजल्ट करते हैं। दूसरा भाव पर धनु राशि पड़ी हुई है, यह गुरु की मूल त्रिकोण राशि है। यह धन भाव होता है और गुरु इस भाव के कारक भी होते हैं। वृश्चिक राशि के जातकों के लिए गुरु इस भाव के स्वामी भी हो जाते हैं। पंचम भाव में गुरु की मीन राशि पड़ी हुई है, यह संतान का भाव होता है। गुरु इस भाव के कारक भी होते हैं और मीन राशि जो वृश्चिक राशि है उसके जातकों के लिए गुरु पंचम के स्वामी भी हो जाते हैं। कुंडली में जिन चार भावों के गुरु कारक होते हैं उनमें से दो भावों के गुरु खुद स्वामी भी हो जाते हैं। ये दोनों भावों के कारक भी गुरु होते हैं। यहां पर सप्तम में गुरु गोचर करेंगे तो गुरु की एक दृष्टि जाएगी पांचवी वाली सीधा आपके 11थ हाउस के ऊपर। यानी कि आय का भाव है इसके भी कारक गुरु है। इस भाव के ऊपर गुरु की दृष्टि होने का मतलब यह है कि यहां पर गुरु वृद्धि करवाने का काम करेंगे। ये आय, वृद्धि, इच्छाओं, एलिवेशन का भाव है। सामाजिक प्रतिष्ठा यहीं से आती है।
गुरु की दृष्टि होने का मतलब और वक्री अवस्था में क्योंकि गुरु अच्छा फल करना चाहेंगे। निश्चित तौर पर ग्यारहवें के आपको अच्छे फल मिलेंगे। आपकी आय में वृद्धि हो सकती है, प्रमोशन यदि पेंडिंग है तो प्रमोशन हो सकती है, सामाजिक प्रतिष्ठा आपकी डेफिनेटली बढ़ सकती है। यहां पर गुरु आपके सीधा राशि को दृष्टि दे रहे हैं तो निश्चित तौर पर यह राशि वैसे भी शनि के द्वारा पीड़ित भी है, ढैया भी चल रही है। ढैया के प्रभाव में होने के बावजूद गुरु यहां पर सप्तम भाव में बैठकर आपको पॉजिटिव करने का काम करेंगे। बुद्धि-विवेक के साथ आप काम करेंगे क्योंकि गुरु इंटेलिजेंस के कारक है। इस अवधि के दौरान पूरे बुद्धि-विवेक के साथ काम लेंगे।
सप्तम में गुरु बैठे हैं यदि शादीशुदा है तो वाइफ के लिए अच्छा है। यदि सिंगल है तो आपकी शादी हो सकती है। यहां पर गुरु की एक दृष्टि जा रही है आपके तीसरे भाव के ऊपर। भाइयों के साथ आपका तालमेल बेटर होगा क्योंकि तीसरा भाव भाइयों का भी भाव है। दूसरा भाव पराक्रम का भी भाव है कॉन्फिडेंस आपका बढ़ेगा, आप कोई भी फैसला करेंगे पूरी डिटरमिनेशन के साथ करेंगे। आप लाइफ को फुल एंजॉय करने के मोड में आ जाएंगे। गुरु यहां पहले से हैं लेकिन चूंकि वक्री अवस्था में आ गए हैं। यहां पर गुरु पंचम के भी फल करेंगे। आपके लिए धन भाव के भी फल करेंगे। धन भाव चूंकि गुरु का अपना भाव है और पंचम सुत का भाव है। जिनको यहां पर संतान नहीं है उनको संतान आ सकती है। जिनकी संतान है उनको संतान पक्ष से अच्छी खबर सुनने को मिल सकती है। जो स्टूडेंट्स पढ़ाई के लिए बाहर जाना चाहते हैं उनके लिए भी समय अच्छा है। 9 अक्टूबर से लेकर 4 फरवरी तक का 120 दिन का समय गुरु का वक्री अवस्था में होने जा रहा है। वृश्चिक राशि के लिए बहुत अच्छा रहने वाला है और यदि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन खराब है। गुरु आपकी कुंडली में पाप प्रभाव में हैं। राहु-केतु एक्सेस में है शनि-मंगल के साथ है।
जरूरतमंदों को ज्ञान बांटे।
ॐ बृं बृहस्पतये नम: का जाप करें।
चने की दाल या फिर पीला वस्त्र गुरुवार के दिन दान करें।
इसके अलावा आप पुखराज धारण कर सकते हैं लेकिन पुखराज धारण करने से पहले यह जरूर सुनिश्चित करिए कि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन छठे, आठवें, 12वें भाव में दूसरा भाव में हो।
नरेश कुमार
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