Edited By Prachi Sharma,Updated: 22 Oct, 2024 01:20 PM
आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो गए हैं और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे।
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Guru Vakri 2024: आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो गए हैं और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे। यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल होती है 120 दिन के लिए। सूर्य यदि आपकी कुंडली में लगन में पड़े हैं तो यदि शनि पंचम में आ जाएंगे और डिग्री कली 120 डिग्री पार कर जाएंगे तो वो वक्री हो जाएंगे। ऐसा ही गुरु और मंगल के साथ भी होता है। शास्त्र कहता है कि वक्री प्लेनेट जो होता है उसका चेष्टा बल बढ़ जाता है। चेष्टा बल बढ़ने का मतलब यह है कि ग्रह जो अपने अच्छे या बुरे परिणाम बहुत तेजी से करता है और इसी कारण इसका अचानक से असर नजर आता है। तो चलिए जानते हैं धनु राशि पर कैसा रहेगा इसका असर।
धनु राशि के जातकों के लिए गुरु छठे भाव में है और धनु राशि एक ऐसी राशि है जिसके गुरु स्वामी है। यह गुरु की मूल त्रिकोण राशि है। राशि के स्वामी का छठे हो जाना ,छठे भाव में वक्री हो जाना यह निश्चित तौर पर अच्छा नहीं है। धनु राशि के लिए गुरु दो भावों के स्वामी है। केंद्र के दोनों भाव हैं एक तो लगन है यानी कि खुद राशि है। दूसरा चौथा भाव है जहां पर गुरु की मीन राशि पड़ी हुई है। गुरु इन दोनों भावों से संबंधित खराब फल कर सकते हैं। गुरु छठे भाव से संबंधित खराब फल कर सकते हैं। छठा रोग, ऋण, शत्रु का भाव होता है। गुरु शुभ ग्रह होने के नाते छठे भाव में अच्छा फल नहीं करते। अशुभ फल छठे भाव में अच्छा फल करते हैं। लेकिन शुभ फल छठे भाव में आ जाए तो वो अच्छा नहीं करते।
लिहाजा यहां पर गुरु का छठे भाव में वक्री होना धनु राशि के जातकों के लिए थोड़ा सा संभल कर चलने का समय है। यहां पर यदि आपका कोई कंपटीशन एग्जाम है तो हो सकता है कि आपको उसमें थोड़ा सा स्ट्रगल करना पड़े। गुरु छठे भाव में वक्री अवस्था में यह कंपटीशन का भाव होता है और इसके अलावा यदि आपको कोई फिजिकल प्रॉब्लम है। इसके अलावा किसी की भी गारंटी मत लीजिए। छठा भाव ऐसा भाव है जहां पर गुरु बैठे हैं या अशुभ प्रभाव में गुरु बैठे हैं या अशुभ भाव में बैठे हैं। गुरु फाइनेंस के भी कारक हैं। धन के कारक गुरु हैं तो धन से संबंधित हानि हो सकती है, किसी की गारंटी मत लीजिए। किसी को पैसा इस अवधि में उधार मत दीजिएगा। इसके अलावा कोई भी किसी भी अनावश्यक विवाद में मत फसिए। कार्यक्षेत्र में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। छठा भाव दशम का नाइंथ होता है, कर्म का भाग्य होता है। यहां पर गुरु का वक्री होना कर्म के भाग्य में आकर वक्री हो जाना वह आपको थोड़ा सा परेशान करेगा। कारोबार, कार्यस्थल में भी परेशान कर सकता है। 4 फरवरी के बाद आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। हो सकता है कोर्ट का फैसला फेवर में न जाए। यहां पर राशि के स्वामी का छठे में होना आपको खुद विवाद में ला सकता है।
आपकी वाणी से कुछ ऐसा आ सकता है जिसके जरिए आप थोड़ा सा विवाद में फंस सकते हैं। इसलिए किसी भी विवाद में फसने से बचिए। किसी की गारंटी मत लीजिए। यदि आप कोई प्रॉपर्टी खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं या कुछ एसेट्स खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो कोशिश करिए कि आप इसको पोस्टपोन कर दें। प्रॉपर्टी या कोई नई चीज आप खरीदने जा रहे हैं उसकी डॉक्यूमेंटेशन आप पूरी तरह से पूरी सावधानी के साथ ध्यानपूर्वक करें। क्योंकि यहां पर फोर्थ हाउस से संबंधित गुरु का जो फोर्थ हाउस है वहां पर मीन राशि है। इस तरह के काम में आपको थोड़ा सा सावधानी जरूर बरतनी चाहिए।
बैंक मेंकिसी के साथ भी कोई भी डील कर रहे हैं उसकी पेमेंट जो कर रहे हैं उसका प्रूफ आपके पास डेफिनेटली हो ताकि आप किसी भी तरह के विवाद में न फसे। खासतौर पर जो फोर्थ हाउस से संबंधित चीजें हैं उससे संबंधित किसी भी तरह के विवाद में आप न फसे। धनु राशि जिसके लिए गुरु का छठे भाव में गोचर करना गोचर के साथ-साथ गुरु का 120 दिन के लिए वक्री हो जाना यह अच्छा नहीं है। यदि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन खराब है।
यदि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन खराब है तो ये उपाय जरूर करें-
जरूरतमंदों को ज्ञान बांटे।
ॐ बृं बृहस्पतये नम: का जाप करें।
चने की दाल या फिर पीला वस्त्र गुरुवार के दिन दान करें।
इसके अलावा आप पुखराज धारण कर सकते हैं लेकिन पुखराज धारण करने से पहले यह जरूर सुनिश्चित करिए कि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन छठे, आठवें, 12वें भाव में दूसरा भाव में हो।
नरेश कुमार
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