Edited By Prachi Sharma,Updated: 17 Sep, 2024 02:51 PM
आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति वक्री होने जा रहे हैं 9 अक्टूबर को और 4 फरवरी तक वक्री रहेंगे। अगले साल यह लगभग 119 दिन के आस-पास का समय
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Guru Vakri 2024: आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति वक्री होने जा रहे हैं 9 अक्टूबर को और 4 फरवरी तक वक्री रहेंगे। अगले साल यह लगभग 119 दिन के आस-पास का समय है जब वक्री अवस्था में रहेंगे। वैसे तो गुरु पॉजिटिव ग्रह है लेकिन कुछ राशियों के लिए इस समय गुरु की स्थिति ऐसी है कि वह नेगेटिव गोचर में है। जब सूर्य के साथ शुक्र और बुध आते हैं। ये हमेशा सूर्य के साथ ही नजर आएंगे आपको किसी भी कुंडली में सूर्य के सामने शुक्र नजर नहीं आएंगे सूर्य के सामने बुध नजर नहीं आएंगे ये इनर सर्कल के प्लानेट है। ये सूर्य के आस-पास ही रहते हैं। मंगल, शनि और गुरु ये आउटर सर्कल के प्लांट है ये आपको कुंडली में सूर्य के साथ भी नजर आ जाएंगे। ये प्लेनेट है जब-जब वक्री होते हैं इनका चेष्टा बल बढ़ जाता है।जब यह सूर्य से लगभग 120 डिग्री के पार चले जाते हैं तो यह वक्री अवस्था में चले जाते हैं। यानी कि किसी भी कुंडली में यदि कोई ग्रह सूर्य से मंगल, शनि या गुरु सूर्य से पांचवें भाव में है तो वह संभावना है कि वक्री हो जाएंगे।
इन राशियों के लिए गुरु रहेंगे अशुभ
मिथुन राशि: मिथुन राशि एक ऐसी राशि है जिसके लिए गुरु मार्क भी बनते हैं। यहां पर गुरु 12वें भाव में गोचर कर रहे हैं। 12वां भाव आपके खर्चे का भाव है. खर्चे के भाव होने के कारण यहां पर आपका खर्चा बढ़ सकता है। मिथुन राशि के जातकों को इस चीज के लिए तैयार रहना चाहिए कि 9 अक्टूबर के बाद और 4 फरवरी के बीच ऐसी स्थिति आ सकती है जब आपके ऊपर अचानक खर्चे आएँगे। गुरु अपनी एक राशि धनु से छठे भाव में गोचर कर रहे हैं जो अपने दुश्मन की राशि शुक्र है। वहां से छठे भाव में गोचर करना अच्छा नहीं है यहां पर किसी भी विवाद में मत पड़िए, किसी की गारंटी मत लीजिए। किसी की गारंटी मत लीजिए, खास तौर पर किसी को पैसा मत दीजिए। इसके अलावा वाहन थोड़ा सा धीमे चलाइए। यहां पर स्थिति अच्छी नहीं है और अष्टम भाव के ऊपर भी गुरु की दृष्टि है। हो सकता है आप दुर्घटना के शिकार हो जाएं। ये खर्चे वाला भाव और हॉस्पिटलाइजेशन वाला है इसलिए यहां पर थोड़ा सा ध्यान रखना पड़ेगा। मिथुन राशि के लिए गुरु दोनों केंद्रों के स्वामी हैं। गुरु कर्म स्थान के भी स्वामी हैं। कार्यस्थल पर कुछ न कुछ रुकावटें देखने को मिलेंगी। गुरु की दृष्टि कई बार अच्छा फल करती है लेकिन इसके बावजूद यहां पर सावधान रहने की जरूरत ज्यादा है। गुरु शुभ गोचर में नहीं है यह स्थिति आपके लिए अच्छी नहीं है, यहां पर आपको थोड़ा सा ध्यानपूर्वक ही चलना पड़ेगा।
तुला राशि: तुला राशि के जातकों के लिए गुरु का गोचर अष्टम भाव में हो रहा है। अष्टम के गुरु कभी अच्छे नहीं होते हैं। तुला राशि के लिए गुरु वह तीसरे भाव के भी स्वामी हैं और छठे भाव के भी स्वामी हैं। यह रोग, ऋण और शत्रु का भाव है। यदि आपका कोई कोर्ट केस चल रहा है वहां पर बिल्कुल भी अनगैली मत कीजिए। गुरु का अष्टम में जाना दुर्घटना के लिहाज से अच्छा नहीं है। अपने पासवर्ड किसी के साथ शेयर न करें। खान-पान का खास ध्यान रखें। यहां पर गुरु की दृष्टि आपके धन भाव के ऊपर है अन्यथा खर्चे आ सकते हैं। कोशिश करिए कि खर्चों को मेंटेन करने के लिए अपना बैलेंस थोड़ा सा ठीक रखिए। तीसरे और छठे दोनों से संबंधित फल खराब हो सकते हैं। अष्टम में यह नुकसानदायक हो सकता है।
धनु राशि: धनु राशि गुरु की अपनी ही राशि है। राशि के स्वामी का छठे में जाना अच्छा नहीं है। जब राशि का स्वामी आपकी कुंडली में छठे भाव में चला जाता है तो आप किसी न किसी अनावश्यक विवाद में फंस सकते हैं। आपका छठा भाव अच्छा नहीं है। छठा रोग, ऋण, शत्रु का भाव है। राशि के स्वामी का छठे जाना यहां पर अच्छा नहीं है और यहां पर गुरु चूंकि आपकी कुंडली में चौथे भाव के भी स्वामी बनते हैं। धनु राशि के जितने भी जातक यदि प्रॉपर्टी खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैंतो वहां पर आपको थोड़ा सी सावधानी से काम लेने की जरूरत पड़ेगी। मदर की हेल्थ को कोई इशू आता है तो वहां पर थोड़ा सा ध्यान रखना पड़ेगा। यह गुरु की अपनी राशि है यहां पर आपको थोड़ा सा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी।
गुरु को मजबूत करने के उपाय
पेड़ लगाकर उसकी सेवा करें।
गुरु और बुजुर्गों का सम्मान करें।
केसर वाला दूध पिएं।
नरेश कुमार
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