Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Sep, 2023 09:58 AM
भगवान गणेश जिन गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं, वे हमारी चेतना में प्रकट होने लगते हैं। उनके गज समान मस्तक का बल, सहनशक्ति और साहस, उनके विशाल उदर की प्रतीक
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Gurudev Sri Sri Ravi Shankar: भगवान गणेश जिन गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं, वे हमारी चेतना में प्रकट होने लगते हैं। उनके गज समान मस्तक का बल, सहनशक्ति और साहस, उनके विशाल उदर की प्रतीक उदारता तथा स्वीकार्यता और उनके एक दांत की प्रतीक एकाग्रता, ये सभी गुण हैं। जो जीवन को और अधिक संतोषप्रद बनाते हैं। भगवान गणेश अपने ऊपर उठे हाथ से रक्षा करते हैं और नीचे कि ओर इंगित करने वाले हाथ से आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ‘रिद्धि’ जो बुद्धि की प्रतीक हैं और ‘सिद्धि’ जो विशेष क्षमताओं की प्रतीक हैं, ज्ञान के देवता भगवान गणेश की पत्नियां हैं। जब आप गणेश जी की पूजा करते हैं, तो आपको ज्ञान, बुद्धिमत्ता, विशेष योग्यतायें और सिद्धियां प्राप्त होती हैं। योगी मूलाधार चक्र या रीढ़ के आधार पर भगवान गणेश की उपस्थिति या ऊर्जा का अनुभव करते हैं।
उनके हाथ में ‘मोदक’ परमानन्द की प्राप्ति को दर्शाता है। ‘अंकुश’ जागरण का प्रतीक है और ‘पाश’ नियंत्रण के लिए है, जिसका अर्थ है कि आंतरिक जागरण द्वारा निकलने वाली अथाह ऊर्जा को उचित मार्गदर्शन द्वारा प्रसारित करने की आवश्यकता है। परम सत्य की अज्ञानता, हमें संसार से बांधती है। भगवान गणेश का वाहन ‘मूषक’ अज्ञान की उन रस्सियों को काट देता है जो हमें असत्य से बांधती हैं।
इस गणेश चतुर्थी पर यह जान लें कि भगवान गणेश आपके हृदय में विराजमान हैं। एक शिशु की तरह, भोलेभाव से, भगवान गणेश की आराधना करें तथा उनके आशीर्वाद के रूप में सुख-समृद्धि और परमानन्द का आनंद लें।