गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर- कॉर्पोरेट जगत में तनाव से कैसे दूर रहें ?

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Oct, 2024 09:35 AM

gurudev sri sri ravi shankar

Gurudev Sri Sri Ravi Shankar: आज कल जैसे-जैसे कॉर्पोरेट जगत में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, बहुत से लोगों में तनाव भी बढ़ रहा है। यदि आपको कार्यस्थल पर किसी मित्र या सहकर्मी के साथ कोई गलतफहमी हो गई है तो आप अंदर से बहुत कठोर और नकारात्मक हो जाते हैं...

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Gurudev Sri Sri Ravi Shankar: आज कल जैसे-जैसे कॉर्पोरेट जगत में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, बहुत से लोगों में तनाव भी बढ़ रहा है। यदि आपको कार्यस्थल पर किसी मित्र या सहकर्मी के साथ कोई गलतफहमी हो गई है तो आप अंदर से बहुत कठोर और नकारात्मक हो जाते हैं और फिर आप जहां भी जाते हैं इस नकारात्मकता को अपने साथ लेकर जाते हैं।

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तनाव हमारी सोच, भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करता है। तनाव को अपने ऊपर हावी होने देना किसी त्रासदी से कम नहीं है। तो अपने कार्यस्थल पर तनाव के कारण कोई मूल्य चुकाए बिना सफल कैसे हों ? वास्तव में यह बहुत आसान है ! यह बिल्कुल एक साइकिल चलाने जैसा है। जब आप साइकिल चलाते हैं तो गिरते नहीं बल्कि केंद्र में बने रहते हैं। जब साइकिल एक तरफ झुकने लगती है तब आप उसे केन्द्र में लाते हैं। साइकिल चलाने का सूत्र है - संतुलन!

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काम और पारिवारिक जीवन के बीच रखें संतुलन
कॉर्पोरेट से सम्बंधित लोगों में तनाव का सबसे मुख्य कारण है कि आप अपने काम और पारिवारिक जीवन में संतुलन नहीं बना पाते । कुछ लोग हर समय अपने ऑफिस का ही कार्य करते रहते हैं और उसके कारण पारिवारिक जिम्मेदारियों की उपेक्षा कर देते हैं। जबकि कुछ लोग अपने परिवार में इतने फंसे रहते हैं कि उनकी दुनिया उनके घर की चारदीवारी से आगे नहीं जा पाती। दोनों ही स्थिति में आप अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाते हैं। तो तनाव से छुटकारा पाने का पहला कदम है अपने परिवार, समाज और कार्य के बीच संतुलन बनाएं ।

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बेहतर जीवन शैली और विश्राम
तनाव का एक और कारण है- खराब जीवनशैली और विश्राम की कमी ! काम की व्यस्तता में हम अपने भोजन और निद्रा पर बिलकुल ध्यान नहीं दे पाते जिससे तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं । इसलिए आप कितने भी व्यस्त क्यों न हों अपने भोजन और नींद का समय निर्धारित रखें । प्रतिदिन आसन, प्राणायाम और ध्यान के लिए समय निकालें। जब आप नियमित ध्यान का अभ्यास करते हैं, तब सहज ही वर्तमान क्षण में रहते हैं और अतीत की नकारात्मकता और तनाव को छोड़ने में सक्षम हो जाते हैं। यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और एकाग्र रखता है । इसके अभ्यास से बौद्धिक तीक्ष्णता और सजगता आती है, साथ ही आपकी अवलोकन करने की क्षमता भी बढ़ती है । ध्यान आपके चारों ओर सकारात्मक तरंगें पैदा करता है जिससे आप भावनात्मक रूप से बहुत हल्का, शुद्ध और कोमल अनुभव करते हैं । यह आपको कम समय में गहरा विश्राम देता है ।  

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रचनात्मक कार्यों को जीवन का हिस्सा बनायें
अधिकतर ऐसा देखा जाता है कि कॉर्पोरेट से जुड़े लोग विचार-विमर्श, योजना बनाने और विश्लेषण करने जैसी तार्किक गतिविधियां अधिक करते हैं। वे कला, साहित्य और संगीत जैसी रचनात्मक गतिविधियों के लिए समय नहीं निकालते । जिससे उनके मस्तिष्क का बायां भाग तो सक्रिय रहता है लेकिन दाहिने भाग का उतना उपयोग नहीं होता। संगीत, कविता, साहित्य और कला की अभिव्यक्ति से गहरे से गहरे तनाव से भी मुक्ति मिलती है। साथ ही जब मस्तिष्क के दोनों भाग संतुलित रहते हैं तब आप अधिक रचनात्मकता, मन की स्पष्टता, कार्यकुशलता और गहरे विश्राम का अनुभव करते हैं।  

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कई बार लगातार एक जैसा काम करते-करते नीरसता आने लगती है जो नकारात्मकता का कारण बन जाती है । ऐसे में अपने आस-पास के लोगों के लिए उपयोगी बनें, उनकी सेवा करें । सेवा का अर्थ है बदले में कुछ भी अपेक्षा किए बिना किसी और के लिए कुछ करना। आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अपना समय देकर, दान से या सिर्फ अच्छी सकारात्मक बातों से उनकी सेवा कर सकते हैं । तो जिस प्रकार भी कर सकें, आपको सेवा करनी चाहिए। दूसरों की सेवा तनाव दूर करने का एक बहुत अच्छा उपाय है । जब आप सेवा और दया के काम करते हैं  तो आपको तुरंत ही आंतरिक शांति मिलती है।

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