Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Oct, 2023 08:28 AM
दुनिया के लगभग सभी देशों में आत्माओं से जुड़े कई त्योहार मनाए जाते हैं। ऐसा ही एक त्यौहार है ‘हैलोवीन’, जो 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। माना
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Halloween 2023: दुनिया के लगभग सभी देशों में आत्माओं से जुड़े कई त्योहार मनाए जाते हैं। ऐसा ही एक त्यौहार है ‘हैलोवीन’, जो 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। माना जाता है कि इस रात मृत पूर्वजों की आत्माएं घर आती हैं और उनके स्वागत में यह त्यौहार मनाया जाता है। हैलोवीन का नाम ‘हॉलीडे’ से बना है। यह एक पवित्र दिन के पहले की रात होती है। यह दुनिया भर में मनाए जाने वाले सबसे पुराने उत्सवों में से एक है। वैसे तो यह अनेक देशों में मनाया जाता है मगर उत्तरी अमेरिका और कनाडा में ‘हैलोवीन’ सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। हर वर्ष अमेरिका के लगभग 65 प्रतिशत लोग अपने घर और ऑफिस को खास तरीके से सजाते हैं। क्रिसमस पर जितनी टॉफियों की बिक्री होती है, उतनी ही ‘हैलोवीन’ पर भी लोग खरीदते हैं।
Halloween Beginning हैलोवीन की शुरुआत
यह त्यौहार करीब दो हजार वर्षों से मनाया जा रहा है। उस समय आयरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी फ्रांस मिलकर एक देश हुआ करते थे। इस देश का नाम सेल्ट था। इसकी शुरुआत आयरलैंड के सेल्टिक फेस्टिवल से हुई थी। यह फेस्टिवल आयरलैंड में हर साल हार्वेस्ट सीजन के अंत में मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को कैंडी देते हैं और अजीबो-गरीब पोशाक पहनते हैं। बच्चे ‘हैलोवीन नाइट’ को अपने आस-पड़ोस के लोगों को डराने के लिए नई-नई ट्रिक्स इस्तेमाल करते हैं।
लोगों के बीच ‘हैलोवीन’ की लोक कथाएं प्रचलित हैं जिनके अनुसार जैक नामक किसान ने एक बार शैतान को अपने जाल में फंसाया लेकिन वह न तो स्वर्ग में जा सका और न ही नरक में। इसके बाद शैतान से परेशान होकर उसने शलजम से एक कंदील बनाया और उसमें जलते हुए कोयले को डाल दिया। इस प्रकार इसे शैतान से छुटकारा मिल गया।
इसके बाद से इस दिन को ‘हैलोवीन’ के रूप में मनाया जाने लगा। इस अवसर पर लोग शलजम में तरह-तरह की आकृतियों वाले चेहरे बनाते हैं। शलजम के अलावा इसके लिए कद्दू का भी इस्तेमाल किया जाता है। लोगों का मानना है कि इससे बुरी आत्माएं उनसे दूर रहेंगी। इस उत्सव में बच्चों का खास महत्व है। दरअसल वे ही आत्माओं का रूप धारण करते हैं और सभी घरों के दरवाजे पर जाते हैं। लोग अपने घरों में खरीद कर रखी गई टॉफी उन्हें खाने को देते हैं। अब तो यह भारत के कुछ हिस्सों में मनाया जाने लगा है। ‘हैलोवीन’ के बहुत सारे निकनेम भी हैं, जैसे ‘ऑल हैलोज इव’, ‘विचेज नाइट’, ‘लैम्सवूल’, ‘स्नैप एपल नाइट’, ‘सैमहेन’ और ‘समर्स एंड’।
Different forms of festival त्यौहार के अलग-अलग रूप
मैक्सिको, लैटिन अमेरिका और स्पेन : इस दिन लोग अपने मृत परिजनों को याद करते हैं। यहां ‘हैलोवीन’ 31 अक्टूबर से लेकर 6 नवंबर तक मनाया जाता है। यहां लोग अपने घरों में पूजा का स्थान तैयार करते हैं और उसे मोमबत्तियों, कैंडी, फूल, तस्वीरों, पानी और मृतकों के पसंदीदा खाने-पीने की चीजों से सजाते हैं। इसके साथ ही वहां वॉश बेसिन और तौलिया भी रखा जाता है ताकि आत्माएं फ्रेश हो सकें।
जर्मनी : यहां ‘हैलोवीन’ की रात लोग चाकुओं को घर से बाहर फैंक देते हैं ताकि घर में आने वाली आत्माएं उन्हें कोई नुकसान न पहुंचा सकें।
इंगलैंड : इस दिन बच्चे बड़े-बड़े कद्दुओं से तरह-तरह के पंकीज (कंदील) बनाते हैं। इसे वे भुतहे मुखौटे की शक्ल देते हैं। इसे लेकर वे पंकी नाइट सांग गाते हुए घर-घर जाकर चंदा एकत्रित करते हैं। लोग अपने घर के दरवाजे पर शलजम या कद्दू की लालटेन भी लगाते हैं। इसके अलावा बुरी आत्माओं को डराने के लिए लोग आग में पत्थर, सब्जियां और सूखे मेवे भी फेंकते हैं।
चैकोस्लोवाकिया : यहां इस दिन जलती हुई आग के चारों ओर कुर्सियां रखी जाती हैं। ये कुर्सियां परिवार के उन सभी लोगों के लिए होती हैं, जो जीवित हैं। इसके अलावा जो लोग मर चुके होते हैं, उनके लिए भी वहां पर खाली कुर्सियां रखी जाती हैं।
चीन : इसे तेंगचेह कहा जाता है। इस दिन लोग परिवार के मृत सदस्यों की तस्वीरों के सामने खाने-पीने की चीजें रखते हैं और रोशनी करते हैं। प्रेत आत्माओं की मुक्ति के लिए बौद्ध मंदिरों में कागज की नौकाएं बनाई जाती हैं और उन्हें शाम को जलाया जाता है।
आस्ट्रिया : यहां के लोग हैलोवीन की रात को खाने की मेज पर ब्रैड, पानी, जलता हुआ लैंप आदि छोड़ जाते हैं। इस तरह वे धरती पर इस रात को आने वाली आत्माओं का स्वागत करते हैं।
बेल्जियम : इस रात काली बिल्ली का रास्ता काटना या जहाज में यात्रा करना बहुत ही अशुभ माना जाता है।
जापान : हैलोवीन की ही तर्ज पर जुलाई या अगस्त में ओबोन फैस्टिवल मनाया जाता है। लोग आत्माओं के स्वागत के लिए खास व्यंजन बनाते हैं तथा चारों ओर चटकीले लाल रंग के लालटेन लटकाते हैं। यहां कंदील में मोमबत्तियां जला कर सभी उसे नदी और समुद्र में बहाते भी हैं।