Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Apr, 2025 09:23 AM
Hanuman Janmotsav 2025: हनुमान जन्मोत्सव को हनुमान जयंती के नाम से जाना जाता है। 12 अप्रैल 2025 में यह शनिवार के दिन पड़ रहा है। यदि इस दिन कुछ खास उपाय कर लिए जाएं तो ढैय्या-साढ़ेसाती से मिलेगी राहत।
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Hanuman Janmotsav 2025: हनुमान जन्मोत्सव को हनुमान जयंती के नाम से जाना जाता है। 12 अप्रैल 2025 में यह शनिवार के दिन पड़ रहा है। इस दिन हनुमान जी की पूजा का महत्व अन्य दिनों की तुलना में अत्यधिक बढ़ जाता है। जीवन में चल रहे हर तरह के शोक और गंभीर से गंभीर रोग से छुटकारा पाने के लिए यह दिन बहुत उत्तम है। हनुमान जन्मोत्सव शनिवार को है, इस रोज 5 ग्रह मीन राशि में पंचग्रही योग बनाएंगे। यदि इस दिन कुछ खास उपाय कर लिए जाएं तो शनि के हर तरह के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिलता है विशेषकर ढैय्या-साढ़ेसाती से राहत मिलती है।
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पौराणिक मतानुसार शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है। इस दिन रूठे हुए शनि को मनाने के लिए विशेष पूजन कर्म करने का महत्व है। ज्योतिषशास्त्र के मतानुसार व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति काफी अधिक महत्वपूर्ण होती है। ज्योतिष शास्त्रो में शनि को अनेक नामों से सम्बोधित किया गया है, जैसे मंदगामी, सूर्य-पुत्र और शनिश्चर आदि।
जन्मकुंडली में शनिदेव की शुभ या अशुभ स्थिति के कारण ही व्यक्ति का जीवन सुखों या दुखों से भरता है। हर व्यक्ति को अपने जीवनकाल में शनिदेव के प्रभाव आवश्यक रूप से झेलने पड़ते हैं तथा इससे कोई भी बच नहीं सकता। शनि का सर्वाधिक प्रभाव साढ़ेसाती व ढैय्या में ही झेलना पड़ता है।
शास्त्रों में ऐसा वर्णन आता है के शनि ग्रह को शांत करने के लिए हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी ने शनि देव का घमंड तोड़ा था तब शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया था के उनके भक्तों को वो कभी पीड़ा नहीं देंगे। अतः सभी क्रूर ग्रह हनुमान जी के आगे कभी टिक नहीं सकते।
Remedies to get rid of Shani Dosh शनि दोष निवारण के लिए उपाय
हनुमान मंदिर में काजल चढ़ाएं।
उड़द के दानों पर सिंदूर लगाकर हनुमान जी पर अर्पित करें।
हनुमान की के चित्र पर तिल के तेल का दीपक जलाएं।
हनुमान जी के चित्र अथवा मूर्ती पर पीपल के पत्तों की माला चढ़ाएं।
सिर से 8 बार नारियल वारकर हनुमान जी के चरणों में रखें।
दक्षिणमुखी हनुमान जी का विधिवत पूजन कर मूंगे की माला से इस मंत्र का यथा संभव जाप करें।
मंत्र: वंदे सिंदूरवर्णाभं लोहितांबरभूषितम्। रक्तागंरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्॥