Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Apr, 2024 07:27 AM
आज भले ही संतोषी स्वभाव वाले व्यक्ति को मूर्ख और कायर कहकर हंसी उड़ाई जाए लेकिन संतोष ऐसा गुण है, जो आज भी सामाजिक सुख-शांति का आधार बन सकता है। असंतोष और लालसा ने श्रेष्ठ मानवीय
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Happy and contented with my life: आज भले ही संतोषी स्वभाव वाले व्यक्ति को मूर्ख और कायर कहकर हंसी उड़ाई जाए लेकिन संतोष ऐसा गुण है, जो आज भी सामाजिक सुख-शांति का आधार बन सकता है। असंतोष और लालसा ने श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों को उपेक्षित कर दिया है। चारों ओर ईर्ष्या, द्वेष और अस्वस्थ होड़ का बोलबाला है। परिणामस्वरूप मानव जीवन की सुख-शान्ति नष्ट हो गई है।
संसार पूंजीवादी व्यवस्था को अपनाकर अधिक से अधिक धन कमाने की होड़ में लगा हुआ है। आज का मानव इतना स्वार्थी हो गया है कि उसे केवल अपना ही सुख दिखाई देता है। वह संसार का सबसे अमीर व्यक्ति बनना चाहता है। यही असंतोष का कारण है।
दुनिया में धन का हमेशा महत्व रहा है। धन को सुख का साधन माना गया है। आज मनुष्य का सारा जीवन धन कमाने में ही बीतता है। इसके लिए वह उचित-अनुचित सब उपाय अपनाता है लेकिन आर्थिक मनोकामनाएं निरंतर पूरी होते रहने पर भी मनुष्य असन्तुष्ट रहता है। यही कारण है कि असंतोष मानव जीवन का अभिशाप है और संतोष मानव जीवन का वरदान। संसार में संतोष रूपी धन ही सबसे बड़ा खजाना है और जब यह प्राप्त हो जाता है तो संसार में किसी अन्य चीज की आवश्यकता नहीं रह जाती।