Hariyali Teej: आज हरियाली तीज पर बांके बिहारी देंगे स्वर्ण जड़ित हिंडोले में दर्शन

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Aug, 2024 01:06 PM

hariyali teej banke bihari mandir vrindavan

हरियाली तीज का त्योहार वृंदावन की धार्मिक परंपराओं से गहरा जुड़ा हुआ है। वृंदावन उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। यहां पर स्थित बांके बिहारी मंदिर

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Hariyali Teej 2024 Banke Bihari Mandir Vrindavan: हरियाली तीज का त्योहार वृंदावन की धार्मिक परंपराओं से गहरा जुड़ा हुआ है। वृंदावन उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। यहां पर स्थित बांके बिहारी मंदिर राधा रानी और भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह स्थल भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। बांके बिहारी हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करते हैं और उन्हें अपने प्रेम की डोर से बांध देते हैं।

बांके बिहारी जी को प्रेम की डोर से हिंडोले में झुलाने के लिए देश-दुनिया के भक्त पूरा साल इंतजार करते रहते हैं। आज वो पावन दिन है, जब दिव्य और भव्य स्वर्ण-रजत हिंडोला में विराजित होकर बिहारी जी भक्तों को दर्शन देंगे। मंदिर के सेवायत श्री राजू गोस्वामी ने पंजाब केसरी के संवादाता विक्की शर्मा को बताया कि हरियाली तीज पर ठाकुर बांके बिहारी इस हिंडोले में पूरे ठाठ-बाट के साथ विराजते हैं और इसी के साथ ही वृन्दावन के अन्य मंदिरों में भी हिंडोला उत्सव की शुरुआत हो जाती है। हरियाली तीज के विशेष अवसर पर श्री बांके बिहारी को भोग लगाने के लिए स्पेशल घेवर, फैनी और पान का बीड़ा का तैयार किया जाएगा।

बांके बिहारी जी साल में एक ही दिन हरियाली तीज के पर्व पर हिंडोले में दर्शन देते हैं। यह हिंडोला बेशकीमती स्वर्ण-रजत का बना है। आज से लगभग 162 साल पूर्व साधारण हिंडोले में बिहारी जी भक्तों को दर्शन देते थे। उनके भक्त कोलकाता निवासी सेठ हर गुलाल बेरीवाला ने परिवार के सहयोगियों संग बिहारी जी के लिए दिव्य स्वर्ण-रजत हिंडोला तैयार करवाया और प्रशासन को भेंट किया था।नेपाल के टनकपुर के जंगल से लकड़ियां मंगवाई गई। उसके ऊपर सोने और चांदी की परत से नक्काशी करवाई गई। जो अलौकिक है। इसमें 20 किलो सोना और 100 किलो चांदी का इस्तेमाल किया गया है।

कहते हैं इस झूले को बनाने की शुरुआत 1942 में हुई थी। 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद झूला 15 अगस्त 1947 को तैयार हुआ। सावन मास में बिहारी जी को झुलाने के लिए सोने-चांदी का हिंडोला मंदिर को समर्पित किया था।  जब देश आजाद हुआ तो बांके बिहारी पहली बार इस झूले पर विराजमान हुए थे। स्वर्ण-रजत इस हिंडोले में बिहारी जी ने दर्शन दिए थे।

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!