Hartalika Teej Vrat Katha: हरतालिका तीज के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, नहीं तो अधूरी रह जाएगी पूजा

Edited By Prachi Sharma,Updated: 06 Sep, 2024 08:09 AM

पौराणिक कथा के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले मां सती से भोलेनाथ के लिए किया था। ये कथा शिवजी ने ही मां पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाया था। हरतालिका तीज

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Hartalika Teej Vrat Katha: पौराणिक कथा के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले मां सती से भोलेनाथ के लिए किया था। ये कथा शिवजी ने ही मां पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाया था। हरतालिका तीज व्रत कथा के अनुसार भगवान शंकर मां पार्वती से कहते हैं-

हे गौरा, पिछले जन्म में तुमने मुझे पाने के लिए बहुत छोटी उम्र में कठोर तप और घोर तपस्या की थी। तुमने न तो कुछ खाया और न ही पीया बस हवा और सूखे पत्ते चबाए। जला देने वाली गर्मी हो या कंपा देने वाली ठंड तुम नहीं हटीं, डटी रहीं। बारिश में भी तुमने जल नहीं पिया। तुम्हें इस हालत में देखकर तुम्हारे पिता दु:खी थे। उनको दु:खी देखकर नारदमुनि आए और कहा कि मैं भगवान विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं। वह आपकी कन्या से विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं। नारदजी की बात सुनकर आपके पिता बोले अगर भगवान विष्णु यह चाहते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं।

PunjabKesari Hartalika Teej Vrat Katha

परंतु जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम दुःखी हो गईं। तुम्हारी एक सहेली ने तुम्हारे दुःख का कारण पूछा तो तुमने कहा कि मैंने सच्चे मन से भगवान शिव का वरण किया है, किन्तु मेरे पिता ने मेरा विवाह विष्णुजी के साथ तय कर दिया है। मैं विचित्र धर्मसंकट में हूं। अब मेरे पास प्राण त्याग देने के अलावा कोई और उपाय नहीं बचा। तुम्हारी सखी बहुत ही समझदार थी। उसने कहा- प्राण छोड़ने का यहां कारण ही क्या है ? संकट के समय धैर्य से काम लेना चाहिए। नारी के जीवन की सार्थकता इसी में है कि जिसे मन से पति रूप में एक बार वरण कर लिया, जीवन पर्यन्त उसी से निर्वाह करें। मैं तुम्हें घनघोर वन में ले चलती हूं जो साधना स्थल भी है और जहां तुम्हारे पिता तुम्हें खोज भी नहीं पाएंगे। मुझे पूर्ण विश्वास है कि भगवान अवश्य ही तुम्हारी सहायता करेंगे। तुमने ऐसा ही किया।

तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुःखी हुए। इधर तुम्हारी खोज होती रही उधर तुम अपनी सहेली के साथ नदी के तट पर एक गुफा में मेरी आराधना में लीन रहने लगीं। तुमने रेत के शिवलिंग का निर्माण किया। तुम्हारी इस कठोर तपस्या के प्रभाव से मेरा आसन हिल उठा और मैं शीघ्र ही तुम्हारे पास पहुंचा और तुमसे वर मांगने को कहा तब अपनी तपस्या के फलीभूत मुझे अपने समक्ष पाकर तुमने कहा, मैं आपको सच्चे मन से पति के रूप में वरण कर चुकी हूं। यदि आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर यहां पधारे हैं तो मुझे अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लीजिए। तब तथास्तु कहकर मैं कैलाश पर्वत पर लौट गया। उसी समय गिरिराज अपने बंधु-बांधवों के साथ तुम्हें खोजते हुए वहां पहुंचे। तुमने सारा वृतांत बताया और कहा कि मैं घर तभी जाउंगी अगर आप महादेव से मेरा विवाह करेंगे।

PunjabKesari Hartalika Teej Vrat Katha

तुम्हारे पिता मान गए और उन्होंने हमारा विवाह करवाया। इस व्रत का महत्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मनवांछित फल देता हूं। इस पूरे प्रकरण में तुम्हारी सखी ने तुम्हारा हरण किया था इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत हो गया। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन मुताबिक वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। और रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है। इससे कथा का पूरा फल मिलता है।

PunjabKesari Hartalika Teej Vrat Katha

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!