Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Jun, 2024 04:07 PM
प्रकृति के नियमानुसार यह मानव शरीर विशेष रूप से आत्म साक्षात्कार के लिए मिला है जिसे कर्मयोग, ज्ञानयोग या भक्तियोग में से किसी एक विधि से प्राप्त किया जा सकता है। योगियों के लिए यज्ञ सम्पन्न करने की कोई आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि वे पाप-पुण्य से परे...
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Naraka punishment: प्रकृति के नियमानुसार यह मानव शरीर विशेष रूप से आत्म साक्षात्कार के लिए मिला है जिसे कर्मयोग, ज्ञानयोग या भक्तियोग में से किसी एक विधि से प्राप्त किया जा सकता है। योगियों के लिए यज्ञ सम्पन्न करने की कोई आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि वे पाप-पुण्य से परे होते हैं किन्तु जो लोग इंद्रियतृप्ति में जुटे हुए हैं उन्हें पूर्वोक्त यज्ञ-चक्र के द्वारा शुद्धिकरण की आवश्यकता रहती है।
भविष्य पुराण के अनुसार पृथ्वी पर जन्म लेने वाले हर प्राणी को तन, मन और वचन से किए गए बुरे कर्मों का फल भोगना पड़ता है। कुछ पाप महापाप माने जाते हैं। जिन्हें करने से नरक में सबसे बड़ी सजा भुगतनी पड़ती है।
जो मनुष्य दूसरों की वस्तु हड़पने या चुराने का प्रयास करता है, वह महापापी माना जाता है। किसी और की वस्तु को छल से पाने या चुराने में मनुष्य के जीवन के सभी पुण्य कर्म नष्ट हो जाते हैं। चोरी की हुई वस्तु से कभी भी लाभ नहीं मिलता, बल्कि उसकी वजह से नुकसान का ही सामना करना पड़ता है। दान न करने वाला भी महा पापी होता है।
गुरु मनुष्य को अच्छे-बुरे का ज्ञान देता है। गुरु को पिता के समान और गुरुपत्नी को माता के समान मानना चाहिए। गुरुपत्नी के साथ संबंध रखने वाले या गुरु पत्नी को बुरी नजर से देखने वाले मनुष्य को ब्रह्म हत्या से भी बड़ा पाप लगता है। गुरु पत्नी के साथ समागम करने वाले मनुष्य के पापों का प्रायश्चित किसी भी तरह संभव नहीं होता है। ऐसे मनुष्य को जयंती नामक नरक में उनके पापों की सजा मिलती है।
अगर कोई मनुष्य जान कर या भूल से किसी की हत्या कर देता है, तो यह कर्म महापाप माना जाता है। ऐसा कर्म करने वाले मनुष्य को जीवन भर दुखों का सामना करना पड़ता है। सिर्फ हत्या करने वाला ही नहीं बल्कि ऐसे काम में साथ देने वाले मनुष्य को भी कुंभीपाक नाम के नरक की यातना सहनी पड़ती है। इसलिए मनुष्य को भूलकर भी हत्या जैसे बुरे कर्म में भाग नहीं लेना चाहिए।
मादक पदार्थों और शराब से दूर रहना चाहिए अन्यथा व्यक्ति महापाप का भागी बन जाता है।
नौकरों से बुरा व्यवहार, पशु-पक्षियों पर जुल्म और ब्राह्मण की हत्या करना भी महापाप की श्रेणी में आता है।