33 करोड़ या 33 कोटि देवी-देवता, क्या आप सुलझा पाएं हैं इस गुत्थी को?

Edited By Jyoti,Updated: 07 Nov, 2019 04:58 PM

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अक्सर आप ने लोगों को कहते सुना होगा कि कुछ लोग का मानना है कि हिंदू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं। तो वहीं कुछ का मानना है कि 33 करोड़ नहीं बल्कि हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता है।

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अक्सर आप ने लोगों को कहते सुना होगा कि कुछ लोग का मानना है कि हिंदू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं। तो वहीं कुछ का मानना है कि 33 करोड़ नहीं बल्कि हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता है। हम जानते हैं अब आपके मन में ये प्रश्न आया होगा कि आख़िर इन दोनों में से कौन तथ्य सच है। बहुत से लोग आज तक इसी संदर्भ को लेकर उलझन में है। कुछ लोग तो इस लेकर आपस में बहस करने लग जाते हैं। परंतु सवाल ये है आख़िर इससा सच है क्या। चलिए आज हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी खास जानकारी जिसे पढ़ने के बाद शायद आप में से बहुत से लोगों की असमंजस दूर हो सकती है। दरअसल, हिंद धर्म के ग्रंथों में कोटि देवभाषा संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है प्रकार। यानि इसका अर्थात हुआ हिंदू धर्म में 33 करोड़ नहीं बल्कि 33 कोटि यानि प्रकार के देवी-देवता हैं। तो आप में से जो भी लोग आज तक ये सोचे बैठे हैं कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं तो इस बात को अपने दिमाग से निकाल दें।
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अब बारी आती है इन प्रकारों को जानने की-

12 प्रकार हैं-

आदित्य, धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अंशभाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु

8 प्रकार हैं-

वासु, धरध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।

11 प्रकार हैं-

रुद्र, हरबहुरुप, त्रयंबक, अपराजिता, बृषाकापि, शंभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।

2 प्रकार हैं-

अश्विनी और कुमार-

इस तरह कुल हुए 12+8+11+2 = 33 कोटि देवी-देवता।
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इसके अलावा ये भी जानें-

दो पक्ष: कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष

तीन ऋण: देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण

चार युग: सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग

चार धाम : द्वारिका, बद्रीनाथ, जगन्नाथपुरी, रामेश्वरम धाम

चार पीठ : शारदा पीठ ( द्वारिका ) ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) शृंगेरी पीठ

चार वेद : ऋग्वेद, अथर्वेद, यजुर्वेद, सामवेद

चार आश्रम: ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास

चार अंत: करण: मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार

पंच गव्य: गाय का घी, दूध, दही, गो मूत्र, गोबर

पंच तत्त्व: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश
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छह दर्शन: वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग, पूर्व मिसांसा, दक्षिण मिसांसा

सप्त ऋषि: विश्वामित्र, जमदाग्नि, भरद्वाज, गौतम, अत्री, वशिष्ठ और कश्यप

सप्त पुरी : अयोध्या पुरी, मथुरा पुरी, माया पुरी ( हरिद्वार ), काशी, कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ), अवंतिका और द्वारिकापुरी

आठ योग: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि

10 दिशाएं: पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य, अग्नि, आकाश एवं पाताल

12 मास: चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, अषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन

15 तिथियां: प्रतिपदा, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावास्या

समृतियां: मनु, विष्णु, अत्री, हारीत, याज्ञवल्क्य, उशना, अंगीरा, यम, आपस्तम्ब, सर्वत, कात्यायन, ब्रहस्पति, पराशर, व्यास, शांख्य, लिखित, दक्ष, शातातप, वशिष्ठ।

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