Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Jan, 2025 07:03 AM
Hindu Nav Varsh 2025: विश्व भर में पश्चिमी मान्यता के अनुसार 1 जनवरी को नव वर्ष का स्वागत किया जाता है। जो जूलियन कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है। जूलियन कैलेंडर के अनुसार अभी वर्ष 2025 चल रहा है लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार नया संवत 2082 होगा।
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Hindu Nav Varsh 2025: विश्व भर में पश्चिमी मान्यता के अनुसार 1 जनवरी को नव वर्ष का स्वागत किया जाता है। जो जूलियन कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है। जूलियन कैलेंडर के अनुसार अभी वर्ष 2025 चल रहा है लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार नया संवत 2082 होगा। उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने लगभग 2000 वर्ष पूर्व विक्रम संवत प्रारंभ किया था। दोनों के मध्य 57 वर्षों का अंतर है। हिंदूओं का नया साल अंग्रेजी न्यू ईयर से लगभग 57 साल आगे चलता है। साल 2025 में हिंदुओं का नया साल 30 मार्च को मनाया जाएगा। हिंदू कैलेंडर में 12 महीने होते हैं, जिसमें पहला महीना चैत्र और आखिरी फाल्गुन मास आता है। अंग्रेजी कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, जो जनवरी से आरंभ होता है और दिसंबर पर समाप्त होता है। हिंदू नववर्ष की शुरुआत विभिन्न पंचांगों और परंपराओं के अनुसार अलग-अलग तिथियों पर होती है लेकिन मुख्यतः यह मार्च-अप्रैल के आसपास आता है।
विक्रम संवत (Vikram Samvat): यह हिंदू कैलेंडर का एक प्रमुख पंचांग है और यह नववर्ष चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च-अप्रैल में आता है।
नव वर्ष (नव संवत्सर): यह भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है। यह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शुरू होता है और यही दिन भारतीय राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में भी मनाया जाता है।
गुजराती नववर्ष (नववर्ष, गोवर्धन पूजा): दीपावली के दूसरे दिन गुजरात में इस नववर्ष की शुरुआत होती है। यह अक्टूबर-नवंबर में मनाया जाता है और इसे विक्रम संवत के अनुसार मनाया जाता है।
पंजाबी नववर्ष (बैसाखी): यह बैसाखी के रूप में 13-14 अप्रैल को मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में मनाया जाता है।
तेलुगु और कन्नड़ नववर्ष (उगादी): यह नववर्ष चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है और यही दिन आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, और तेलंगाना में मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च-अप्रैल में होता है।
बंगाली नववर्ष (पोहेला बोइशाख): यह बंगाल में 13-14 अप्रैल को मनाया जाता है और यह बंगाली पंचांग के अनुसार होता है।