Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Nov, 2024 02:37 PM
लड्डू को सबसे पहले किसी हलवाई ने नहीं, बल्कि ईसा पूर्व चौथी सदी में भारतीय चिकित्सक सुश्रत ने बनाया था और इसे दवाई की तरह इस्तेमाल किया जाता था।
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History Of Ladoos: लड्डू को सबसे पहले किसी हलवाई ने नहीं, बल्कि ईसा पूर्व चौथी सदी में भारतीय चिकित्सक सुश्रत ने बनाया था और इसे दवाई की तरह इस्तेमाल किया जाता था। कैसे लड्डू ने दवाई से मिठाई का रूप लिया, आइए जानते हैं इसके मजेदार इतिहास के बारे में। त्यौहार हो या कोई खुशखबरी, बात जब मुंह मीठा कराने की आती है, तो लड्डू के स्वाद का कोई मुकाबला नहीं है। लड्डू एक ऐसी मिठाई है, जो कई तरह से तैयार की जाती है। यह मिठाई, शहर दर शहर अपने अलग-अलग रंग, रूप और स्वाद में आपको मिल जाएगी।
इन गोल-गोल लड्डुओं के स्वाद की तरह ही इनका इतिहास भी कई रोचक और दिलचस्प किस्सों से भरा है। इतिहासकार बताते हैं कि ईसा पूर्व चौथी सदी में इसका आविष्कार महान भारतीय चिकित्सक सुश्रत ने किया था। उस समय घी, तिल, गुड़, शहद, मूंगफली जैसी चीजों को कूटकर गोल आकार के पिंड बनाए जाते थे, जो मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होते थे।
कुछ ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार चोल वंश में सैनिक जब भी युद्ध के लिए निकलते थे, लड्डू को बतौर ‘गुड लक’ साथ लेकर चलते थे। बदलते दौर के साथ लड्डू भी बदला और इसमें गुड़ के बजाए चीनी का इस्तेमाल होने लगा। इसी चीनी की वजह से लड्डू और अधिक मशहूर हुआ और घर-घर पहुंचने लगा।
लोगों को जैसे ही पता चला कि चीनी से लड्डू की मिठास बढ़ सकती है, इसकी रैसिपी में गुड़ की जगह चीनी ने ले ली और यह एक मिठाई के तौर पर खाया जाने लगा।
मनेर शरीफ (पटना, बिहार) के बूंदी के लड्डू काफी लोकप्रिय हैं। कहते हैं कि पहली बार मुगल बादशाह शाह आलम पत्तों के दोने में इनको मनेर शरीफ से लेकर दिल्ली गए थे और वहां के लोगों को ये बहुत पसंद आए। फिर शाह आलम ने दिल्ली से अपने बावर्चियों को मनेर बुलाया और स्थानीय कारीगरों से लड्डू बनाना सिखाया। मनेर के हलवाई यह मिठाई बनाने में इतने माहिर थे कि इनके बनाए लड्डुओं के दीवाने अमेरिका, इंग्लैंड, दुबई के अलावा कई अन्य देशों में भी हो गए। वहीं इन लड्डुओं का स्वाद भारत पर कब्जा करने वाले अंग्रेजों को ऐसा भाया कि उन्होंने मनेर के लड्डुओं को विश्व प्रसिद्ध होने का प्रमाणपत्र दे डाला।