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Holashtak 2025: मार्च में इस तारीख से शुरू होगा होलाष्टक, 8 दिन तक बंद रहेंगे सभी शुभ काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Feb, 2025 06:35 PM

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Holashtak 2025 start and end date: फाल्गुन का महीना आते ही कहीं अबीर की खुशबू, कहीं गुलाल का रंग वातावरण को महका देता है। वृंदावन के मंदिरों में तो हर ओर होली के रंग की बौछार और आसमान में उड़ते गुलाल की छटा दिखाई देनी भी आरंभ हो गई है।

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Holashtak 2025 start and end date: फाल्गुन का महीना आते ही कहीं अबीर की खुशबू, कहीं गुलाल का रंग वातावरण को महका देता है। वृंदावन के मंदिरों में तो हर ओर होली के रंग की बौछार और आसमान में उड़ते गुलाल की छटा दिखाई देनी भी आरंभ हो गई है। पंचांग के अनुसार, 13 फरवरी से फाल्गुन महीना आरंभ हो गया है और इसका समापन 14 मार्च को धुलंडी के दिन होगा। 14 मार्च 2025 को होली का पर्व रंग-बिरंगे रंगों के साथ मनाया जाएगा। 13 मार्च 2025 को बुराई पर अच्छाई की जीत होलिका दहन होगा। सदियों से होली से 8 दिन पहले होलाष्टक मनाए जाने का विधान चला आ रहा है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार इन 8 दिनों में कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए।

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हमारे वैदिक सनातन धर्म में होली का महत्व पौराणिक है। महर्षि कश्यप की पत्नी दिती का पुत्र हिरण्यकश्यप दैत्यों का राजा था। इसका पुत्र प्रह्लाद भगवान श्री हरि विष्णु जी का अनन्य भक्त था। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को भक्ति मार्ग से हटाने के अनेकों प्रयास किए, उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया। जब प्रह्लाद अपनी प्रभु भक्ति से अविचलित रहे तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रहलाद के साथ अग्रि में बैठ कर उसे भस्म करने का आदेश दिया। होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था लेकिन भगवान की कृपा से होलिका जल कर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद का किंचित भी अहित नहीं हुआ। तब श्री हरि नारायण जी के भक्तों ने धर्म की अधर्म पर हुई विजय के रूप में इस दिन एक-दूसरे के ऊपर रंग डालकर होली के पर्व के रूप में इस दिन को मनाना आरंभ किया।

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होली से आठ दिन पूर्व होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है। इन आठ दिनों में सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इसके पीछे मान्यता यह है कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को बंदी बनाया और इन आठ दिनों में उसने अपने पुत्र को यातनाएं दी थीं।

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दूसरी मान्यता के अनुसार इसी दिन महादेव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। होली के दिन भगवान शिव ने कामदेव को दोबारा जीवित करने का वरदान दिया। इन्हीं कारणों से होलाष्टक से होली के बीच का समय शुभ नहीं माना जाता।

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