Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Mar, 2025 09:44 AM

Holi 2025: 14 मार्च को होली का त्यौहार है। इस दौरान होली की मस्ती जरूर करें पर याद रखें कि मौसमी बिमारियों का जोर है। साथ ही होली के दौरान सस्ते रंगों का प्रयोग करने से बचे, ताकि त्वचा, आंख व नाक को किसी प्रकार का नुकसान न हो। इसके अलावा अन्य...
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Holi 2025: 14 मार्च को होली का त्यौहार है। इस दौरान होली की मस्ती जरूर करें पर याद रखें कि मौसमी बिमारियों का जोर है। साथ ही होली के दौरान सस्ते रंगों का प्रयोग करने से बचे, ताकि त्वचा, आंख व नाक को किसी प्रकार का नुकसान न हो। इसके अलावा अन्य सावधानियां भी बरतनी जरूरी है, ताकि होली तो खूब खेलें लेकिन रंग में भंग ना पड़ने पाए।
Holi festival of colors यूं चुनें होली के ‘रंग’
वास्तु शास्त्र के अनुसार रंग सुख, सौभाग्य और खुशहाली के प्रतीक माने जाते हैं। माना जाता है कि होली के हर रंग का प्रभाव अलग होता है और वास्तु के अनुसार रंगों का चयन अगर सोच-समझकर किया जाए तो जीवन से नकारात्मकता को दूर कर सुख-सौभाग्य में वृद्धि की जा सकती है।
लाल रंग दक्षिण-पूर्व दिशा का प्रतीक माना जाता है। इसे हर रंग की अपेक्षा अधिक बलशाली माना जाता है। कहते हैं कि इस रंग से होली खेलने से सेहत और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
नारंगी रंग सामाजिकता का प्रतीक माना जाता है। परिवार के सदस्य जिस कमरे में एक साथ बैठते हैं या समय बिताते हैं, उस कमरे में नारंगी रंग करवाना चाहिए। मान्यता है कि नारंगी रंग मानसिक तौर पर मजबूती प्रदान करता है।
गुलाबी रंग से होली खेलने से प्रेम भाव में बढ़ोत्तरी होती है। होली वाले दिन जीवनसाथी के साथ इस रंग से होली खेलना शुभ माना जाता है क्योंकि यह रंग रिश्तों में मजबूती प्रदान करता है।
पीले रंग का खास महत्व है। यह उत्साह का प्रतीक है जो हिम्मत प्रदान करता है।

Holi Katha क्या है होलिका दहन से जुड़ी कथा: होलिका दहन के दिन ही असुर राज हिरण्यकश्यप का ज्येष्ठ पुत्र प्रह्लाद, जोकि विष्णु भक्त होने की वजह से पिता को अप्रिय था। उसे मारने के लिए हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया था, जिसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था लेकिन जैसे ही होलिका प्रहलाद को लेकर जैसे ही चिता पर बैठती है, वैसे ही होलिका जलने लगती है और श्रीहरि की कृपा स्वरूप प्रहलाद बच जाते हैं। इसे भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक के रूप में हिंदू मनाते हैं।
