Edited By Jyoti,Updated: 27 Mar, 2021 05:22 PM
होली का त्यौहार आ रहा था। मनु हर रोज की तरह अपने दादा जी के साथ पार्क में सैर कर रहा था। वह दादाजी से बोला, दादाजी, मैंने पापा से रुपए ले लिए हैं। अब मैं एक महंगी पिचकारी और पूरे सौ गुब्बारे खरीदूंगा।
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होली का त्यौहार आ रहा था। मनु हर रोज की तरह अपने दादा जी के साथ पार्क में सैर कर रहा था। वह दादाजी से बोला, दादाजी, मैंने पापा से रुपए ले लिए हैं। अब मैं एक महंगी पिचकारी और पूरे सौ गुब्बारे खरीदूंगा। अलग-अलग रंग भी। सुबह होते ही अपने दोस्तों पर खूब गुलाल लगाऊंगा। बड़ा मजा आएगा। दादाजी उसकी बात सुनकर बोले, मनु, क्या तुम्हें पता है कि होली क्यों मनाई जाती है? मनु बोला, इस दिन हम सब एक-दूसरे पर खूब गुलाल लगाते हैं, पिचकारी से रंग डालते हैं। एक-दूसरे पर रंग और पानी से भरे गुब्बारे फैंकते हैं।दादाजी ने कहा, बेटा, यह सब तो ठीक है लेकिन शायद तुम्हें यह बात नहीं पता कि अच्छी फसल और भूमि के उपजाऊपन के लिए भी होली मनाई जाती है। इसके साथ भक्त प्रहलाद की कहानी भी। दादाजी ने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि मनु एकदम उछल पड़ा, हां हां, दादाजी। भक्त प्रहलाद की कहानी तो हमारी किताबों में भी है। हमारी मैडम ने पढ़ाई थी अभी बातें चल ही रही थीं कि अचानक मनु ने देखा कि उसके दोस्त रमन और सहज भी पार्क में आ गए हैं।
मनु दादाजी को बोला, दादाजी, वह देखिए मेरे दोस्त आ गए हैं। अब मैं उनके साथ खेलता हूं। मनु को पता चला कि रमन उससे भी ज्यादा महंगी पिचकारी लेकर आया है तो सोचने लगा कि उसके दोस्तों का ध्यान तो उसकी महंगी पिचकारी की ओर ही आकर्षित हो जाएगा। वह दोस्तों में च्ही रोज बनकर छा जाएगा जो मनु को गंवारा न था। तभी मनु के मन में एक योजना आई। उसने दादाजी से अपने दोस्त के साथ घर जाने की आज्ञा ली। फिर वह रमन से बोला, चलो, दिखाओ तुम कैसी पिचकारी लेकर आए हो?
रमन उसे घर ले आया। पिचकारी सचमुच ही काफी महंगी थी। आकार में बड़ी और सुंदर भी। मनु कुछ समय तक उसके घर में बैठा बातें करता रहा। रमन के पास एक स्मार्टफोन था। वह अपनी आनलाईन-स्टडी उसी से करता था। मनु घर आया। मम्मी को उसका चेहरा कुछ बदला-बदला सा लगा। लग रहा था जैसे उसके मन पर कोई बोझ हो। वह कभी एक कमरे में जाता, कभी दूसरे में। मम्मी उसे तिरछी आंखों से देख रही थीं। मनु को ऐसी चिंता में उन्होंने पहले नहीं देखा था।
मम्मी का शक सही निकला। उन्होंने मनु की अलमारी खोली और उसके कपड़ों की तह के नीचे पड़ा एक मोबाइल देखा। मम्मी ने मोबाइल उठाया। मोबाइल के कवर में एक कागज का टुकड़ा था। उस पर लिखा था, मन कुमार। कक्षा आठवीं ए। मम्मी समझ गई। उन्होंने पहचान लिया, यह मोबाइल रमन का ही था। इस मोबाइल को लेकर वह कई बार मनु के घर भी आ चुका था। सुबह होते ही मनु अपने कुछ और दोस्तों को लेकर होली खेलने की तैयारी करने लगा। वह मन ही मन मुस्कुरा रहा था। कभी-कभी माथे पर ङ्क्षचता की लकीरें भी पड़ जातीं।
मम्मी मैं अपने दोस्त रमन के घर जा रहा हूं। उसके साथ होली खेलने के लिए। मनु मम्मी से बोला। मम्मी ने पूछा, तो क्या मुझे नहीं साथ लेकर चलोगे? मनु एकदम हैरान होकर बोला, आपको? आप मेरे दोस्त के साथ होली खेलेंगी क्या? मम्मी ने कहा, क्यों? मैं तुम्हारे दोस्त को गुलाल क्यों नहीं लगा सकती? होली तो हर आयु के व्यक्ति के साथ खेली जा सकती है। मनु को मम्मी की बात समझ नहीं आ रही थी।नहीं मम्मी, हम दोस्त ही खेलेंगे एक दूसरे के साथ। आप बाद में आ जाना। इतने में मम्मी अंदर से एक लिफाफा ले आईं। उसमें क्या था? कुछ पता नहीं चल रहा था। इससे पहले कि मनु घर से रवाना होता, मम्मी बोलीं, मनु, एक मिनट रुको।
मनु रुक गया। वह मम्मी की तरफ हैरानी से ताकने लगा। जानते हो आज होली है और होली का मकसद क्या है? वहां मम्मी। मुझे कल दादाजी ने बताया था कि यह त्यौहार फसल की उपज से जुड़ा हुआ है और इस दिन भक्त प्रहलाद। यह सब तो ठीक है लेकिन यह त्यौहार हमें कोई संदेश भी देता है कि हमें आपस में भेदभाव भूलकर एक-दूसरे को खुशी बांटनी चाहिए, न कि छीननी। है न? मनु का माथा एकदम ठनका। उसे लगा जैसे मम्मी उसे कोई पहेली बूझने के लिए कह रही हैं।
मम्मी ने पूछा, मनु बेटा, तुमने जो काम किया है, क्या वह ठीक है? मनु की जैसे चोरी पकड़ी गई हो। काटो तो खून नहीं। वह बोला, क्या मम्मी ? मैं समझा नहीं। कौन-सा काम?
मम्मी ने मुसकुराकर पूछा, यह तो तुम अपने दिल से पूछो? मनु को चुप देखकर मम्मी ने लिफाफे में एक अखबार के टुकड़े में छिपा हुआ मोबाइल निकाला और उसकी तरफ बढ़ाते हुए बोलीं, लगता है, अब तो सारा माजरा समझ गए होंगे। मनु का सिर एकदम झुक गया। मनु को सच बोलना पड़ा, मम्मी, रमन महंगी पिचकारी लेकर आया था। मुझ से यह बर्दाशत नहीं हुआ। उसे परेशान करने के लिए ही मैंने। मम्मी मुझे क्षमा कर दें प्लीज। आगे से ऐसा नहीं होगा। मनु ने मम्मी से मोबाइल पकड़ा और रमन को जाकर बोला, मन, मैं तुमसे क्षमा मांगने आया हूं।
रमन बोला, क्षमा? मुझसे? किस बात की? मनु ने उसे सारी बात बता दी।रमन उसका हाथ थामता हुआ बोला, मैं सारी रात परेशान रहा और मोबाइल ढूंढता रहा लेकिन कहीं नहीं मिला। खैर...। मुझे खुशी है कि सुबह का भूला मेरा दोस्त घर आ गया है। इतना कहकर रमन ने उसके गाल पर गुलाल लगा दिया। मनु ने भी उसे गुलाल लगाया। दोनों दोस्त खुशी से झूम पड़े। फिर दोनों अन्य दोस्तों को साथ होली मनाने के लिए रवाना हो गए।