Edited By Prachi Sharma,Updated: 09 Mar, 2025 09:00 AM

होली का लोग बहुत ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह एक ऐसा पर्व हैं, जहां व्यक्ति अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर अपने रिश्तों की नई शुरुआत करता है। यह त्योहार रंगों, मस्ती और खुशियों का प्रतीक है
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Holi 2025: होली का लोग बहुत ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह एक ऐसा पर्व हैं, जहां व्यक्ति अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर अपने रिश्तों की नई शुरुआत करता है। यह त्योहार रंगों, मस्ती और खुशियों का प्रतीक है लेकिन इसके साथ-साथ यह धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। खासकर हिन्दू धर्म में, होली के दिन भगवान कृष्ण की पूजा और उनके भजन-कीर्तन का भी विशेष महत्व है। भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन कई विशेष धार्मिक उपाय किए जाते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण उपाय है श्री कृष्ण के स्तोत्रों का पाठ। होली के दिन यदि आप भगवान कृष्ण के विशेष स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो यह आपके जीवन के सभी संकटों का निवारण कर सकता है। भगवान कृष्ण को जीवन के सुख, समृद्धि और शांति का दाता माना जाता है। उनकी उपासना से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और अनेक समस्याओं का समाधान होता है। आज इस आर्टिकल में जानेंगे उस स्तोत्र के बारे में जिसका पाठ करने से स्वयं श्री कृष्ण अपने कष्टों का निवारण करेंगे।
श्री राधा कृष्ण अष्टकम
चथुर मुखाधि संस्थुथं, समास्थ स्थ्वथोनुथं।
हलौधधि सयुथं, नमामि रधिकधिपं॥
भकाधि दैथ्य कालकं, सगोपगोपिपलकं।
मनोहरसि थालकं, नमामि रधिकधिपं॥
सुरेन्द्र गर्व बन्जनं, विरिञ्चि मोह बन्जनं।
वृजङ्ग ननु रञ्जनं, नमामि रधिकधिपं॥
मयूर पिञ्च मण्डनं, गजेन्द्र दण्ड गन्दनं।
नृशंस कंस दण्डनं, नमामि रधिकधिपं॥
प्रदथ विप्रदरकं, सुधमधम कारकं।
सुरद्रुमपःअरकं, नमामि रधिकधिपं॥
दानन्जय जयपाहं, महा चमूक्षयवाहं।
इथमहव्यधपहम्, नमामि रधिकधिपं॥
मुनीन्द्र सप करणं, यदुप्रजप हरिणं।
धरभरवत्हरणं, नमामि रधिकधिपं॥
सुवृक्ष मूल सयिनं, मृगारि मोक्षधयिनं।
श्र्वकीयधमययिनम्, नमामि रधिकधिपं॥

वन्दे नवघनश्यामं पीतकौशेयवाससम्।
सानन्दं सुन्दरं शुद्धं श्रीकृष्णं प्रकृतेः परम्॥
राधेशं राधिकाप्राणवल्लभं वल्लवीसुतम्।
राधासेवितपादाब्जं राधावक्षस्थलस्थितम्॥
राधानुगं राधिकेष्टं राधापहृतमानसम्।
राधाधारं भवाधारं सर्वाधारं नमामि तम्॥
राधाहृत्पद्ममध्ये च वसन्तं सन्ततं शुभम्।
राधासहचरं शश्वत् राधाज्ञापरिपालकम्॥
ध्यायन्ते योगिनो योगान् सिद्धाः सिद्धेश्वराश्च यम्।
तं ध्यायेत् सततं शुद्धं भगवन्तं सनातनम्॥
निर्लिप्तं च निरीहं च परमात्मानमीश्वरम्।
नित्यं सत्यं च परमं भगवन्तं सनातनम्॥
यः सृष्टेरादिभूतं च सर्वबीजं परात्परम्।
योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनम्॥
बीजं नानावताराणां सर्वकारणकारणम्।
वेदवेद्यं वेदबीजं वेदकारणकारणम्॥
योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनम्।
गन्धर्वेण कृतं स्तोत्रं यः पठेत् प्रयतः शुचिः।
इहैव जीवन्मुक्तश्च परं याति परां गतिम्॥
हरिभक्तिं हरेर्दास्यं गोलोकं च निरामयम्।
पार्षदप्रवरत्वं च लभते नात्र संशयः॥
कैसे करें श्री राधा कृष्ण अष्टकम स्तोत्र का पाठ
श्री राधा कृष्ण अष्टकम स्तोत्र का पाठ करते समय सबसे पहले एक स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें। स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर दीपक, धूप और फूल अर्पित करें। फिर, संकल्प लें कि आप भगवान श्री कृष्ण और राधा की भक्ति के साथ उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। इस स्तोत्र के आठ श्लोकों का पाठ करें, ध्यान और एकाग्रता से प्रत्येक श्लोक का उच्चारण करें। पाठ के बाद भगवान कृष्ण और राधा को धन्यवाद अर्पित करें और प्रसाद चढ़ाएं। यह मानसिक शांति और समृद्धि लाता है।
