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Holika Katha: होलिका का प्रेम बलिदान, इस राज्य में आज भी जिन्दा है उनकी प्रेम कहानी !

Edited By Prachi Sharma,Updated: 13 Mar, 2025 12:12 PM

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होलिका का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में होलिका दहन की परंपरा और राक्षसों के साथ उनके संघर्ष का चित्र सामने आता हैलेकिन उनकी प्रेम कथा का पक्ष बहुत ही दिलचस्प और प्रेम की सशक्त अभिव्यक्ति है,

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Holika Katha: होलिका का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में होलिका दहन की परंपरा और राक्षसों के साथ उनके संघर्ष का चित्र सामने आता हैलेकिन उनकी प्रेम कथा का पक्ष बहुत ही दिलचस्प और प्रेम की सशक्त अभिव्यक्ति है, जो आज भी इस राज्य में लोगों के दिलों में जीवित है। विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश में होलिका को प्रेम की देवी के रूप में याद किया जाता है। आज बात करेंगे होलिका और उनके प्रेमी इलोजी की कहानी में। 

राजा हिरण्‍यकश्‍यप की बहन होलिका इलोजी से प्रेम करती थी। दोनों ने साथ में शादी करने का निर्णय लिया। लेकिन भाई की वजह से होलिका का विवाह करने का सपना स्वप्न बनके ही रह गया। धार्मिक किवदिंतियों के अनुसार जिस दिन होलिका और उनके प्रेमी इलोजी ने विवाह करने का सोचा उसी दिन ही भाई हिरण्यकश्यप ने उन्हें बुलाया। उसे लगा कि शायद उनका भाई कुछ विवाह की बात करेगा लेकिन हिरण्‍यकश्‍यप के मन में तो कुछ अलग ही चल रहा था। 

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होलिका जैसे ही अपने भाई के सामने आई तो भाई ने उसे प्रह्नाद के साथ अग्नि में बैठने को कहा। ये सुनने के बाद होलिका सोचने पर मजबूर हो गई। ऐसा इस वजह से क्योंकि हिरण्‍यकश्‍यप का पुत्र भगवान विष्णु का भक्त था और उनका पिता भगवान का दुश्मन था। प्रह्राद को मारने के लिए हिरण्यकशिपु ने ये निर्णय लिया। हिरण्‍यकश्‍यप की बहन होलिका अग्निदेव की भक्त थी और उसे अग्निदेव से एक ऐसा वस्त्र मिला था जो अग्नि के भीषण ताप को भी आसानी से सहन कर सकता था। होलिका ने जब ऐसा करने से मना कर दिया तो हिरण्यकशिपु ने कहा कि वे उसके प्रेमी को मार देगा। इस वजह से होलिका को अग्नि में प्रह्लाद के साथ बैठना पड़ा।

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लेकिन भगवान के भक्त को कोई मार नहीं सकता। जैसे ही होलिका प्रह्लाद के साथ अग्नि में बैठी तो जोर से हवा चली और होलिका का कपड़ा उड़ गया। होलिका चाहती तो वो कपड़ा दोबारा वापिस ले सकती थी लेकिन वह प्रह्लाद से बहुत प्रेम करती थी और उसे बचाने के लिए होलिका ने ये निर्णय लिया। इसके बाद प्रह्लाद तो बच गया लेकिन होलिका जल कर भस्म हो गई। 

अपने प्रेमी की जान के रक्षा के लिए होलिका ने ये निर्णय लिया था। उनकीं प्रेम की ये कथा हिमाचल प्रदेश में बहुत मशहूर है और उन्हें प्रेम की देवी के रूप में याद करते हैं।

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