Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jan, 2018 06:07 PM
हम में से बहुत लोगों को मार्कण्डेय ऋषि सुना होगा। हिंदू धर्म के पुराणों में मार्कण्डेय ऋषि का पुराण सबसे उत्तम और प्राचनीतम माना जाता है। इस पुराण में ऋग्वेद की भांति अग्नि, इंद्र, सूर्य आदि देवताओं पर विवेचन है और गृहस्थाश्रम, दिनचर्या, नित्यकर्म...
हम में से बहुत लोगों को मार्कण्डेय ऋषि सुना होगा। हिंदू धर्म के पुराणों में मार्कण्डेय ऋषि का पुराण सबसे उत्तम और प्राचनीतम माना जाता है। इस पुराण में ऋग्वेद की भांति अग्नि, इंद्र, सूर्य आदि देवताओं पर विवेचन है और गृहस्थाश्रम, दिनचर्या, नित्यकर्म आदि की भी चर्चा है। भगवती की विस्तृत महिमा का परिचय देने वाले इस पुराण में दुर्गासप्तशती की कथा एवं माहात्म्य, हरिश्चन्द्र की कथा, मदालसा-चरित्र, अत्रि-अनसूया की कथा, दत्तात्रेय-चरित्र आदि अनेक सुंदर कथाओं का विस्तृत वर्णन है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि अमर हैं। आठ अमर लोगों में मार्कण्डेय ऋषि का भी नाम आता है। इनके पिता मर्कण्डु ऋषि थे। जब मर्कण्डु ऋषि को कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने अपनी पत्नी के साथ भगवान शिव की आराधना की। उनकी तपस्या से प्रकट हुए भगवान शिव ने उनसे पूछा कि वे गुणहीन दीर्घायु पुत्र चाहते हैं या गुणवान 16 साल का अल्पायु पुत्र। तब मर्कण्डु ऋषि ने कहा कि उन्हें अल्पायु लेकिन गुणी पुत्र चाहिए। भगवान शिव ने उन्हें ये वरदान दे दिया।
जब मार्कण्डेय ऋषि 16 वर्ष के होने वाले थे, तब उन्हें ये बात अपनी माता द्वारा पता चली। अपनी मृत्यु के बारे में जानकर वे विचलित नहीं हुए और शिव भक्ति में लीन हो गए। इस दौरान सप्तऋषियों की सहायता से ब्रह्मदेव से उनको महामृत्युंजय मंत्र की दीक्षा मिली। इस मंत्र का प्रभाव यह हुआ कि जब यमराज तय समय पर उनके प्राण हरने आए तो शिव भक्ति में लीन मार्कण्डेय ऋषि को बचाने के लिए स्वयं भगवान शिव प्रकट हो गए और उन्होंने यमराज के वार को बेअसर कर दिया। बालक मार्कण्डेय की भक्ति देखकर भगवान शिव ने उन्हें अमर होने का वरदान दिया।