Edited By Jyoti,Updated: 20 Jan, 2020 10:39 AM
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एक बार प्रसिद्ध वैज्ञानिक नील्स बोर सोवियत संघ की विज्ञान अकादमी के भौतिक संस्थान में पहुंचे। वहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। वह उन दिनों पूरी दुनिया में फिजिक्स पर अपनी नई रिसर्च के लिए जाने जाते थे।
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एक बार प्रसिद्ध वैज्ञानिक नील्स बोर सोवियत संघ की विज्ञान अकादमी के भौतिक संस्थान में पहुंचे। वहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। वह उन दिनों पूरी दुनिया में फिजिक्स पर अपनी नई रिसर्च के लिए जाने जाते थे। उनका इंस्टीच्यूट उस समय चॢचत युवा वैज्ञानिकों से भरा हुआ था जिसमें काम करने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक लालायित रहते थे। उनके इंस्टीच्यूट में काम करने वालों में कई बार फूट डालने की भी कोशिश की गई, पर किसी को सफलता नहीं मिली।
बहरहाल, नील्स बोर का स्वागत-सत्कार करने के बाद वहां के अधिकारी उनसे अनेक विषयों पर बातचीत करते रहे। थोड़ी देर बाद उनमें से एक अधिकारी बोला, “सर, अगर आपको बुरा न लगे तो मैं एक निजी बात आपसे पूछना चाहता हूं।“
सुनते ही नील्स बोर ने कहा, “जरूर पूछिए, मैं आपकी बात का जवाब देने के लिए हाजिर हूं।“
“इस पर उस अधिकारी ने पूछा, ''आपके साथ काम करने वाले लोग हमेशा खुश रहते हैं। आपका संस्थान दिन-प्रतिदिन प्रगति भी कर रहा है। आपका संस्थान अपने कर्मचारियों की कड़ी मेहनत सुनिश्चित करते हुए भी उन्हें इतना खुश कैसे रखता है?”
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नील्स बोर मुस्कुराते हुए बोले, “इसका तो बहुत छोटा-सा राज है। मैं अपने संस्थान में काम करने वाले हर व्यक्ति के काम की भरपूर तारीफ करता हूं। इसके अलावा उनके सामने अपनी गलती स्वीकार करने में मैं कभी किसी तरह का संकोच नहीं करता। इसीलिए सभी खूब मन लगाकर काम करते हैं और भरपूर क्षमता दिखाने में लगे रहते हैं। उनमें आपस में एक सकारात्मक होड़ लगी रहती है। इसका फायदा संस्थान को होता है।“
वहां मौजूद सभी लोग न केवल उनसे सहमत थे बल्कि उनकी सादगी पर चकित भी थे।