Edited By Jyoti,Updated: 14 May, 2020 08:22 PM
अपनी वेबसाईट माध्यम से हम आपको आए दिनों बदलत ग्रहों की दशा के बारे में जानकारी देते ही रहते हैं। आज हम आपको बताने नाले बृहस्पति ग्रह से जुड़ी खास बातें। जैसे कि हम आपको बता चुके हैं
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अपनी वेबसाईट माध्यम से हम आपको आए दिनों बदलते ग्रहों की दशा के बारे में जानकारी देते ही रहते हैं। आज हम आपको बताने नाले बृहस्पति ग्रह से जुड़ी खास बातें। जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि आज गुरु ग्रह वर्की होने जा रहे हैं। जिसका 12 राशियों पर अपना अलग प्रभाव रहने वाला है। मगर इनकी इस चाल से संबंधित इतनी जानकारी काफी नहीं है। जी हां, दरअसल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दौरान की गई इनकी खास पूजा आदि करने से कुंडली में इनकी दशा को सुधारा जा सकता है। तो चलिए जानतें इनके खास उपाय-
सबसे पहले बता दें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देव गुुरु बृहस्पति की पूजा के लिए सबसे अच्छा दिन गुरुवार का माना जाात है। ज्योतिष शास्त्रों की मानें तोे इस दिन इन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत आदि भी रखा जाता है। तो वहीं इस दिन कुछ कामों को करना भी वर्जित होता है जैसे नाखून काटना, बाल कटवाना आदि जैसे कार्य। आइए जानें इनकी पूजा की सही विधि-
सबसे पहले बता दें बृहस्पति व्रत की पूजा करने के लिए आगे दी गई सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए-
यूं तो कहा जाता है कि प्रत्येक व्रत में लगभग एक जैसी पूजा सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है परंतु ये व्रत थोड़ा अलग माना जाता है। इसमें अधिक से अधिक पीली वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। जैसे: पीले रंग के फूल : गंगा जल या शुद्ध जल : बृहस्पति यंत्र : तांबे की प्लेट और लौटा : रूई : पंचामृत (गाय का कच्चा दूध, दही,घी,शहद एवं शर्करा मिला हुआ) : पीले रंग के फल : सुखी मिठाईयां : लकड़ी का आसान : अगरबत्ती, आदि से भगवान विष्णु व केले के पेड़ की पूजा करना चाहिए।
अब जानें बृहस्पतिवार व्रत के उद्यापन की विधि-
इस बात का खास ध्यान रखें कि आपने जितने बृहस्पतिवार के व्रतों का संकल्प लिया है उनकी समाप्ति के बाद ही उद्यापन और दान करना चाहिए।
ऐसे करें उद्यापन :
सुबह स्नान आदि करने के बाद पीले वस्त्र धारण करें, पूजा स्थल पर श्री हरि विष्णु जी की प्रतिमा लगाएं।
इसके बाद केले के पेड़ को एक गमले में लगाकर उसे भी पूजा की जगह पर रख दें। फिर इन पर गंध, पुष्प, धूप, नैवेद्य, फल, दक्षिणा, पान, फूल, आदि अर्पित करें। आखिर में पूजा की समाप्ति के बाद यथाशक्ति दक्षिणा अथवा गौ दान करें।