Edited By Jyoti,Updated: 29 Nov, 2018 05:54 PM
देवी लक्ष्मी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जो श्री हरि की पत्नी हैं। ज्योतिष में इन्हें धन, संपदा, शांति और समृद्धि की देवी भी कहा गया है। एक कारण ये भी जिस वजह से दीपावली के त्योहार में उनकी गणेश सहित पूजा की जाती है।
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देवी लक्ष्मी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जो श्री हरि की पत्नी हैं। ज्योतिष में इन्हें धन, संपदा, शांति और समृद्धि की देवी भी कहा गया है। एक कारण ये भी जिस वजह से दीपावली के त्योहार में उनकी गणेश सहित पूजा की जाती है। पुराणों में इनके जन्म आदि से संबंधित बहुत सी बातें पढ़ने को मिलती है। लेकिन आज हम आपको इनके और श्री हरि से जुड़ी एेसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे।
पुराणों में माता लक्ष्मी की उत्पत्ति के बारे में असत्याभास पाया जाता है। कुछ कथाओं के अनुसार देवी लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान निकले रत्नों के साथ हुई थी, लेकिन वहीं एक कथा के अनुसार वे भृगु ऋषि की बेटी हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी लक्ष्मी जी के लिए स्वयंवर का आयोजन हुआ। कहते हैं माता लक्ष्मी पहले ही मन ही मन विष्णु जी को पति रूप में स्वीकार कर चुकी थीं लेकिन नारद मुनि भी लक्ष्मी जी से विवाह करना चाहते थे। नारद जी ने सोचा कि यह राजकुमारी हरि रूप पाकर ही उनका वरण करेगी। तब नारद जी विष्णु भगवान के पास उनके समान सुन्दर रूप मांगने पहुंच गए। विष्णु भगवान ने नारद की इच्छा के अनुसार उन्हें हरि रूप दे दिया। हरि रूप लेकर जब नारद राजकुमारी के स्वयंवर में पहुंचे गए, उन्हें विश्वास था कि राजकुमारी वरमाला उन्हें ही पहनाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
राजकुमारी ने नारद को छोड़कर भगवान विष्णु के गले में वरमाला डाल दी। जब नारद जी उदास होकर वहां से जा रहे थे तो रास्ते में उन्होंने एक जलाशय में अपना चेहरा देखा। अपने चेहरे को देखकर नारद हैरान रह गए, क्योंकि असल में उनका चेहरा बंदर जैसा लग रहा था। अब वो सोच में पड़ गए कि एेसे कैसे हो गया।
फिर उन्हें याद आया कि 'हरि' का एक अर्थ विष्णु होता है तो दूसरा वानर होता है। इसीलिए नारायण ने उनको वानर का रूप दिया था। नारद समझ गए कि भगवान विष्णु ने उनके साथ छल किया। ये सब समझने के बाद उनको भगवान पर बड़ा क्रोध आया। इसलिए वो सीधा बैकुंठ पहुंचे और आवेश में आकर भगवान को श्राप दे दिया कि आपको मनुष्य रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर जाना होगा। जिस तरह मुझे स्त्री का वियोग सहना पड़ा है उसी प्रकार आपको भी वियोग सहना होगा। इसलिए राम और सीता के रूप में जन्म लेकर विष्णु और देवी लक्ष्मी को वियोग सहना पड़ा।
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