Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Nov, 2024 03:42 PM
Incense sticks: पूजा के समय ज्यादातर घरों में अगरबत्ती जलाई जाती है लेकिन इसे जलाने की मनाही है या नहीं, इसके बारे में कुछ भ्रांतियां हैं। हर धर्म में आपने देखा होगा कि शुद्धता के लिए लोग अगरबती जलाते हैं। पूजा करते समय अगरबत्ती की महक से घर का...
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Incense sticks: पूजा के समय ज्यादातर घरों में अगरबत्ती जलाई जाती है लेकिन इसे जलाने की मनाही है या नहीं, इसके बारे में कुछ भ्रांतियां हैं। हर धर्म में आपने देखा होगा कि शुद्धता के लिए लोग अगरबती जलाते हैं। पूजा करते समय अगरबत्ती की महक से घर का वातावरण शुद्ध हो जाता है। वहीं, यह भी कहा जाता है कि अगरबती में बांस का इस्तेमाल होता है और पूजा में इसे जलाने से दोष लगता है।
दरअसल, सनातन परम्परा में बांस जलाना अशुभ माना गया है। बांस प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भरपूर वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है और किसी भी प्रकार के तूफानी मौसम का सामना करने का सामर्थ्य रखने का प्रतीक है। यह पौधा अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है।
हालांकि बांसों की रगड़ से कभी-कभी आग लग जाती है तो सारे बांस अपनी ही आग में जल जाया करते हैं, जिससे बांसों की कमी हो जाती है। ऐसे में बांसों को बचाना और भी जरूरी हो जाता है। वर्तमान में लोगों के मन में यह धारणा प्रचलित होने लगी है कि अगरबत्ती जलाना सही नहीं है। आज जानते हैं आखिर इसका क्या कारण है।
पहला कारण
भारतीय सनातन परम्पराओं में बांस जलाना निषिद्ध है। कहा जाता है की यदि बांस की लकड़ी से चूल्हा जलाया गया तो वंश नष्ट होने से कोई रोक नहीं सकता। यह भी हो सकता है कि प्राचीनकाल से ही बांस की उपयोगिता रही है। इससे जहां घर बनते थे, वहीं इससे टोकरियां, चटाई और बांसुरियां भी बनाई जाती थीं। बांस मनुष्य जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी माने गए हैं। लोग इनका उपयोग जलाने की लकड़ी की तरह नहीं करें, शायद इसीलिए यह धारणा फैलाई गई कि बांस जलाने से वंश नष्ट होता है।
दूसरा कारण
वैज्ञानिकों के अनुसार बांस जलाने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। संभवत: इसीलिए बांस जलाना निषेध किया गया होगा।
अगरबत्ती का प्रादुर्भाव एवं इस्तेमाल कब और कैसे प्रारम्भ हुआ, यह शोध का विषय हो सकता है लेकिन इसके जलने से और इसका धुआं एवं गंध श्वास के साथ शरीर में जाने के कारण इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव सिद्ध हो चुका है।
अगरबत्ती बांस की सींक पर कैमिकल पदार्थों का लेप करके बनाई जाती है। इसमें नकली खुशबू मिलाई जाती है। इसके जलने पर बांस भी जलता है और खुशबू भी। बांस में लैड एवं भारी धातुएं होती हैं। इनके जलने से हानिकारक तत्व श्वास के साथ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जो भारी नुक्सान-दायक होते हैं।
तीसरा कारण
ऐसी मान्यता भी है कि बांस जलाने से भाग्य का नाश हो जाता है। बांस का होना भाग्यवर्धक है लेकिन उसे जलाने से दुर्भाग्य घटित होता है। फेंगशुई में लंबी आयु के लिए बांस के पौधे बहुत शक्तिशाली प्रतीक माने जाते हैं। यह अच्छे भाग्य का भी संकेत देता है, इसलिए आप बांस के पौधों का चित्र लगाकर उन्हें शक्तिशाली बना सकते हैं।
चौथा कारण
माना जाता है कि बांस जलाने से पितृदोष लगता है। अगरबत्ती बांस की बनी होती है, अत: इसे जलाना शुभ नहीं होता। शास्त्रों में पूजन विधान में कहीं भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता, सब जगह धूप ही लिखा हुआ मिलता है।
पांचवां कारण
भगवान श्री कृष्ण हमेशा अपने पास बांस की बांसुरी रखते थे। भारतीय वास्तु विज्ञान में भी बांस को शुभ माना गया है। शादी, जनेऊ, मुण्डन आदि में बांस की पूजा एवं बांस से मण्डप बनाने के पीछे भी यही कारण है। अत: बांस को जलाना शुभ नहीं होता। ऐसा भी माना जाता है कि बांस का पौधा जहां होता है, वहां बुरी आत्माएं नहीं आती हैं।
इस प्रकार की कोई भ्रांति नहीं होनी चाहिए कि अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए। हां, इस बात का ध्यान रखें कि बांस से बनी हुई अगरबत्ती न जलाई जाए। कुछ तथाकथित लोग सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए इस प्रकार की भ्रांतियां फैलाते हैं। आपको किसी प्रकार की शंका है तो अगरबत्ती की जगह धूप जला सकते हैं क्योंकि शास्त्रों में धूप और अगरबत्ती का समान महत्व है।