Edited By Prachi Sharma,Updated: 24 Sep, 2024 04:00 AM
हरि को खुश करने के लिए एकादशी का दिन बहुत ही खास होता है। इस दिन की गई पूजा कभी भी विफल नहीं होती है। ऐसे में इस दौरान इस पितृ पक्ष का समय चल रहा है।
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Indira Ekadashi 2024: श्री हरि को खुश करने के लिए एकादशी का दिन बहुत ही खास होता है। इस दिन की गई पूजा कभी भी विफल नहीं होती है। ऐसे में इस दौरान इस पितृ पक्ष का समय चल रहा है। इस समय में आने वाली एकादशी बहुत ही खास होती है, ऐसा इस वजह से क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के साथ पितरों का भी खास आशीर्वाद मिलता है। जो लोग इस दिन उपवास करते हैं वे अपने पूर्वजों को मोक्ष दिला सकते हैं। इंदिरा एकादशी का नाम इंद्र अर्थात् स्वर्ग के राजा से लिया गया है। कहा जाता है कि इस दिन उपवास करने और विधिपूर्वक पूजा करने से आत्मा की शांति प्राप्त होती है। इसे पितृ एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि यह पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का अवसर है। तो चलिए जानते हैं सितम्बर 2024 में इंदिरा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा-
Indira Ekadashi date and auspicious time इंदिरा एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 27 सितंबर को दोपहर बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 28 सितंबर को दोपहर को इसका समापन हो जाएगा। उदयातिथि के अनुसार इस साल इंदिरा एकादशी व्रत 28 सितंबर शनिवार को रखा जाएगा। इसी के साथ इस दिन बहुत से शुभ योग भी बन रहे है जैसे सिद्ध और शिववास योग।
Indira Ekadashi Muhurta इंदिरा एकादशी मुहूर्त 2024
पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 7:42 बजे से 09:12 बजे तक
इस योग में पूजा करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी।
Indira Ekadashi Puja Vidhi इंदिरा एकादशी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्वच्छता का ध्यान रखते हुए स्नान करें।
इस दिन उपवास करना महत्वपूर्ण है। आप फल-फूल का सेवन कर सकते हैं। अधिकतर लोग केवल जल ग्रहण करते हैं या फलाहार करते हैं।
पूजा से पहले घर की साफ़-सफाई करें। देवी-देवताओं का स्वागत करने के लिए आवश्यक है।
इसके बाद एक मिट्टी के दीपक में तेल भरकर उसमें एक बत्ती लगाकर जलाएं।
पहले भगवान श्रीकृष्ण और फिर अपने पितरों का आह्वान करें। इसके साथ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें।
भगवान को फलों का भोग अर्पित करें। फलों के साथ-साथ मीठी चीजें जैसे गुड़ भी अर्पित करें।
इस तरह करें पितृ तर्पण: एक कटोरी में जल लेकर उसमें तिल, कुशा और फूल डालें। इसके बाद अपने पितरों का नाम लेते हुए जल तर्पण करें। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। ऐसा करने से आपके नाराज पितृ आपके प्रसन्न हो जाते हैं और साथ में श्री हरि का आशीर्वाद मिलता है।