Inspirational Context: छोटी बुराई ही बड़ी बुराई के लिए रास्ता खोलती है

Edited By Prachi Sharma,Updated: 13 May, 2024 12:51 PM

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नौशेरवां ईरान का बड़ा ही न्यायप्रिय बादशाह था। सबसे अधिक ध्यान वह अपने आचरण पर रखता था। एक बार बादशाह जंगल की सैर करने

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नौशेरवां ईरान का बड़ा ही न्यायप्रिय बादशाह था। सबसे अधिक ध्यान वह अपने आचरण पर रखता था। एक बार बादशाह जंगल की सैर करने गया। उसके साथ कुछ नौकर भी थे। घूमते-घूमते वह शहर से काफी दूर निकल आए। इस बीच बादशाह को भूख लगी। बादशाह ने सेवकों से कहा कि यहीं भोजन बनाने की व्यवस्था की जाए। खाना वहीं तैयार किया गया। बादशाह जब खाना खाने बैठा तो उसे सब्जी में नमक कम लगा। उसने अपने सेवकों से कहा कि जाओ और गांव से नमक लेकर आओ।

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थोड़ी कदम पर गांव था। एक नौकर जाने को हुआ तो बादशाह ने कहा, ‘‘देखो जितना नमक लाओ, उतनी कीमत दे आना।’’ 

नौकर ने यह सुना तो बादशाह की ओर देखा। 

बोला, ‘‘सरकार नमक जैसी चीज के लिए कौन पैसा लेगा। आप उसकी फिक्र क्यों करते हैं ?’’

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बादशाह ने कहा, ‘‘नहीं तुम उसे पैसे देकर आना।’’ नौकर बड़े आदर से बोला, ‘‘हुजूर जो आपको नमक देगा, उस इसके लिए कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उल्टे खुशी होगी कि वह अपने बादशाह की सेवा में अपना अमूल्य योगदान दे रहा है।’’

तब बादशाह बोला, ‘‘यह मत भूलो कि छोटी चीजों से ही बड़ी चीजें बनती हैं। छोटी बुराई बड़ी बुराई के लिए रास्ता खोलती है। अगर मैं किसी पेड़ से एक फल तोड़ता हूं तो मेरे सिपाही उस पेड़ पर एक भी फल नहीं छोड़ेंगे। मुमकिन है, ईंधन के लिए पेड़ को ही काटकर ले जाएं। 

ठीक है एक फल की कोई कीमत नहीं होती लेकिन बादशाह की जरा सी बात से कितना बड़ा अन्याय हो सकता है। जो हुकूमत की गद्दी पर बैठता है, उसे हर घड़ी चौकन्ना रहना पड़ता है।’’

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