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Inspirational Context: जिसके अंदर होता है ये गुण, भगवान स्वयं करते हैं उसकी रक्षा

Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 May, 2024 08:25 AM

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एक राजा का कोई बेटा नही था। वह बहुत समय से पुत्र प्राप्ति के लिए प्रयास कर रहा था लेकिन पुत्र नहीं हुआ। उसके सलाहकारों ने तांत्रिकों से सहयोग लेने को कहा। तांत्रिकों से सुझाव मिला

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Inspirational Context: एक राजा का कोई बेटा नही था। वह बहुत समय से पुत्र प्राप्ति के लिए प्रयास कर रहा था लेकिन पुत्र नहीं हुआ। उसके सलाहकारों ने तांत्रिकों से सहयोग लेने को कहा। तांत्रिकों से सुझाव मिला कि किसी बच्चे की बलि दे दी जाए तो पुत्र प्राप्ति हो जाएगी। राजा ने राज्य में ङ्क्षढढोरा पिटवाया कि जो अपना बच्चा देगा, उसे बहुत सारा धन दिया जाएगा।

एक परिवार में कई बच्चे थे, गरीबी भी थी। एक ऐसा बच्चा भी था, जो ईश्वर पर आस्था रखता था तथा सन्तों के सत्संग में अधिक समय देता था।

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परिवार को लगा कि इसे राजा को दे दिया जाए क्योंकि यह कुछ काम भी नहीं करता, हमारे किसी काम का भी नहीं है। इसे देने पर राजा प्रसन्न होकर बहुत सारा धन देगा। उन्होंने ऐसा ही किया और बच्चा राजा को दे दिया गया।

राजा के तांत्रिकों द्वारा बच्चे की बलि की जब तैयारी हो गई तो राजा को भी बुलाया गया।

बच्चे से पूछा गया कि तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या है ? बच्चे ने कहा, ‘‘ठीक है ! मेरे लिए रेत मंगा दी जाए।’’
 
राजा के आदेश पर तुरंत रेत आ गई। बच्चे ने रेत से चार ढेर बनाए। एक-एक करके रेत के तीन ढेरों को तोड़ दिया और चौथे के सामने हाथ जोड़कर बैठ गया। उसने कहा कि अब जो करना है करें।

यह सब देखकर तांत्रिक डर गए। उन्होंने बच्चे से पूछा कि तुमने यह क्या किया है, पहले यह बताओ। 

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राजा ने भी पूछा तो बच्चे ने कहा, ‘‘पहली ढेरी मेरे माता-पिता की थी, मेरी रक्षा करना उनका कर्त्तव्य था परंतु उन्होंने पैसे के लिए मुझे बेच दिया इसलिए मैंने यह ढेरी तोड़ी, दूसरी मेरे सगे-सम्बन्धियों की थी, उन्होंने भी मेरे माता-पिता को नहीं समझाया। तीसरी आपकी थी राजा क्योंकि राज्य की प्रजा की रक्षा करना राजा का ही धर्म होता है, परन्तु राजा ही मेरी बलि देना चाह रहा है तो यह ढेरी भी मैंने तोड़ दी। अब केवल अपने गुरु और ईश्वर पर ही मुझे भरोसा है, इसलिए यह एक ढेरी मैंने छोड़ दी है।’’

राजा ने सोचा कि पता नहीं बच्चे की बलि देने के पश्चात भी पुत्र प्राप्त हो या न हो, तो क्यों न इस बच्चे को ही अपना पुत्र बना लूं।

 इतना समझदार और ईश्वर-भक्त बच्चा है। इससे अच्छा बच्चा कहां मिलेगा ? राजा ने उस बच्चे को अपना पुत्र बना लिया और राजकुमार घोषित कर दिया।

शिक्षा : जो ईश्वर और गुरु पर विश्वास रखते हैं, उनका बाल भी बांका नहीं होता है। 

याद रखें कि हर मुश्किल में संयम बनाए रखने तथा शांत रहने वालों का किसी प्रकार का कोई अहित नहीं होता।

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