Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Jun, 2024 08:41 AM
एक सेठ जी बड़ी मेहनत से काम करते थे। एक दिन उन्होंने अपने मुनीम को बुलाकर कहा-पता करो हमारे पास कितना धन है और कब तक के लिए पर्याप्त है? कुछ दिन बाद मुनीम जी हिसाब लेकर आ गए और
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Inspirational Context: एक सेठ जी बड़ी मेहनत से काम करते थे। एक दिन उन्होंने अपने मुनीम को बुलाकर कहा-पता करो हमारे पास कितना धन है और कब तक के लिए पर्याप्त है? कुछ दिन बाद मुनीम जी हिसाब लेकर आ गए और सेठ जी से बोले, “जिस हिसाब से आज खर्चा हो रहा है, उस हिसाब से अगर आज से कोई कमाई न भी हो तो आपकी सात पीढ़ियां खा सकती हैं।
सेठ जी चौंक पड़े। पूछा-तब आठवीं पीढ़ी का क्या होगा ? सेठ जी सोचने लगे और तनाव में आ गए। फिर बीमार रहने लगे। बहुत इलाज कराया मगर कुछ फर्क नहीं पड़ा। एक दिन सेठ जी का एक दोस्त हालचाल पूछने आया।
सेठ जी बोले, “इतना कमाया है फिर भी आठवीं पीढ़ी के लिए कुछ नहीं है।” दोस्त बोला, “एक पंडित जी थोड़ी दूरी पर रहते हैं अगर उन्हें सुबह को खाना खिलाएं तो आपका रोग ठीक हो जाएगा।”
अगले ही दिन सेठ जी भोजन लेकर पंडित जी के पास पहुंचे। पंडित जी ने आदर के साथ बैठाया।
फिर अपनी पत्नी को आवाज दी, “सेठ जी खाना लेकर आए हैं।”
इस पर पंडिताइन बोली, “खाना तो कोई दे गया है।”
पंडित जी ने कहा, “सेठ जी, आज का खाना तो कोई दे गया है इसलिए आपका भोजन स्वीकार नहीं कर सकते। हमारा नियम है कि सुबह जो एक समय का खाना पहले दे जाए, हम उसे ही स्वीकार करते हैं। मुझे क्षमा करना।”
सेठ जी बोले, “क्या कल के लिए ले आऊं ?”
पंडित जी बोले, “हम कल के लिए आज नहीं सोचते। कल आएगा तो ईश्वर अपने आप भेज देगा।” सेठ जी घर की ओर चल पड़े।
सोचने लगे, कैसा आदमी है यह। इसे कल की बिल्कुल भी चिंता नहीं है और मैं अपनी आठवीं पीढ़ी को लेकर रो रहा हूं। उनकी आंखें खुल गईं। सेठ जी सारी चिंता छोड़कर सुख से रहने लगे।