Edited By Prachi Sharma,Updated: 25 Jul, 2024 02:58 PM
एक संत अपने आश्रम में बैठे हुए थे तभी उनका एक शिष्य, जो स्वभाव से क्रोधी था उनके समक्ष आया और बोला, “गुरुजी, आप अपना व्यवहार इतना मधुर कैसे
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Inspirational Context: एक संत अपने आश्रम में बैठे हुए थे तभी उनका एक शिष्य, जो स्वभाव से क्रोधी था उनके समक्ष आया और बोला, “गुरुजी, आप अपना व्यवहार इतना मधुर कैसे बनाए रहते हैं, न आप किसी पर क्रोध करते हैं और न ही किसी को भला-बुरा कहते हैं ?
कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए।”
संत बोले, “मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, पर मैं तुम्हारा रहस्य जानता हूं।”
“मेरा रहस्य ! वह क्या है गुरु जी ?” शिष्य ने आश्चर्य से पूछा।
संत दुखी होते हुए बोले, “तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले हो।”
कोई और कहता तो शिष्य यह बात मजाक में टाल सकता था पर गुरु के मुख से निकली बात को कैसे असत्य मान सकता था? शिष्य उदास हो गया और गुरु का आशीर्वाद ले वहां से चला गया।
उस समय से शिष्य का स्वभाव बिल्कुल बदल गया। वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पर क्रोध न करता, अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उनके पास भी जाता जिनसे उसने कभी गलत व्यवहार किया था और उनसे माफी मांगता। देखते-देखते संत की भविष्यवाणी को एक हफ्ता पूरा होने को आया।
शिष्य ने सोचा चलो आखिरी बार गुरु के दर्शन कर लेते हैं। वह उनके पास पहुंचा और बोला, “गुरु जी, मेरा अंत समय अब नजदीक है, कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिए।”
संत बोले, “मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है पुत्र, अच्छा यह बताओ कि सात दिन कैसे बीते? क्या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज हुए, उन्हें अपशब्द कहे ?”
शिष्य बोला, “बिल्कुल नहीं। मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे, मैं इन्हें बेकार की बातों में कैसे गंवा सकता था ? मैं तो सबसे प्रेम से मिला और जिन लोगों का कभी दिल दुखाया था उनसे क्षमा भी मांगी।”
संत मुस्कुराए और बोले, “बस यही तो मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है। मैं जानता हूं कि मैं कभी भी मर सकता हूं इसलिए मैं हर किसी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करता हूं।”