Inspirational Context: न हो अपनी आलोचना पर दुःखी बल्कि इस तरह करें सामना

Edited By Prachi Sharma,Updated: 01 Sep, 2024 11:11 AM

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फकीर की सीखचीन के प्रसिद्ध फकीर चुआंग चाऊ एक बार अंधेरी रात में शाही श्मशान से गुजर रहे थे। अचानक उनका पैर एक खोपड़ी से टकराया। वह घबरा

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फकीर की सीखचीन के प्रसिद्ध फकीर चुआंग चाऊ एक बार अंधेरी रात में शाही श्मशान से गुजर रहे थे। अचानक उनका पैर एक खोपड़ी से टकराया। वह घबरा गए। वह खोपड़ी को उठाकर अपनी कुटिया पर ले आए और उसे सामने रखकर हाथ जोड़ कर क्षमा मांगने लगे।

उनके परिचितों ने यह सब देखा तो कहा, “पागल हो गए हो जो इस निर्जीव खोपड़ी से क्षमा मांग रहे हो ”

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फकीर ने जवाब दिया, “यह जिस व्यक्ति की खोपड़ी है वह सिंहासन पर बैठ चुका होगा। मैं क्षमा इसलिए मांगता हूं क्योंकि आज वह जीवित होता और मेरा पैर उसके सिर पर लग जाता तो पता नहीं मेरी क्या हालत बनाता इसलिए क्षमा मांगना ही ठीक है।” मित्रों ने कहा, “तुम बड़े पागल हो।”

चुआंग ने कहा, “मैं तो उस मरे हुए आदमी से भी कहना चाहता हूं कि एक समय तू सोचता होगा मैं सिंहासन पर बैठा हूं लेकिन आज उसकी खोपड़ी लोगों की एक फकीर की ठोकर खा रही है और कुछ नहीं कर सकती। कहां गया उसका सिंहासन और अहंकार। यह सुनकर मित्र चप हो गए।”

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फकीर ने मित्रों को समझाया, “आदमी को कभी पद और मान का घमंड नहीं करना चाहिए न ही किसी को अपनी आलोचना पर दुखी होना चाहिए। कोई आपकी आलोचना करता है तो अपने अंदर झांक कर देखें न कि उसके प्रति दुर्भावना रखें।  

किसी ने आपकी गलती बताई है तो उसे यह कहकर धन्यवाद दें कि आपने मुझे मेरी गलती का एहसास करा दिया।” फकीर से मित्रों को नई सीख मिली।  

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