Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 Sep, 2024 11:09 AM
एक व्यक्ति के जीवन में बचपन से ही समस्याएं ही समस्याएं थीं। बाल्यकाल में ही उसके पिता की मृत्यु हो गई, जिस कारण कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारियां उसके ऊपर आ गईं।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Inspirational Context: एक व्यक्ति के जीवन में बचपन से ही समस्याएं ही समस्याएं थीं। बाल्यकाल में ही उसके पिता की मृत्यु हो गई, जिस कारण कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारियां उसके ऊपर आ गईं।
वयस्क होने पर जब उसका विवाह हुआ तब जिम्मेदारियां और परेशानियां दोनों और अधिक बढ़ गईं। एक परेशानी के खत्म होते ही दूसरी शुरू हो जाती। इससे परेशान होकर व्यक्ति एक सुलझे संत के पास पहुंचा।
व्यक्ति ने संत से कहा,“ बाबा मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं जीवन में बहुत परेशान हो गया हूं।” संत बोले, “ठीक है, तुम मुझे अपनी परेशानी बताओ।”
व्यक्ति ने कहा “बाबा मेरे जीवन में बहुत परेशानियां हैं। एक समस्या खत्म नहीं होती और दूसरी शुरू हो जाती है। इस कारण मैं तनाव में रहता हूं और किसी काम में मन नहीं लगता।”
बाबा ने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी परेशानियों का हल बताता हूं। तुम मेरे साथ चलो।” संत व्यक्ति को लेकर एक नदी के पास पहुंचे। संत ने व्यक्ति को नदी के किनारे खड़ा कर दिया और कहा हमें यह नदी पार करनी है। यह कहकर संत नदी के किनारे खड़े हो गए। व्यक्ति भी संत के साथ वहीं खड़ा हो गया।
थोड़ी देर बाद उसने कहा,“बाबा हमें नदी पार करनी है तो हम यहां खड़े क्यों हैं? संत ने कहा हम नदी के सूखने का इंतजार कर रहे हैं। जब नदी सूख जाएगी तो हम इसे आसानी से पार कर सकते हैं।”
व्यक्ति आश्चर्यचकित होकर बोला, “बाबा आप यह कैसी बात कर रहे हैं, नदी का पानी कहां कहां सूखेगा। हमें नदी को इसी समय पार करना चाहिए।”
संत ने कहा, “मैं भी तुम्हें यही समझाने के लिए यहां लाया हूं कि जीवन में समस्याएं तो आती ही रहेंगी। इनसे डरकर हमें रुकना नहीं चाहिए बल्कि लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए तभी हम आगे बढ़ पाएंगे।”
व्यक्ति को संत की बात समझ में आ गई। उसने अपनी सोच बदली और उसी दिन निश्चय कर लिया कि परिस्थितियां कैसी भी हों, समस्या कोई भी हो उसका हल करते हुए सफलता की ओर आगे बढ़ना है।