Edited By Prachi Sharma,Updated: 07 Feb, 2025 08:29 AM
हम लोग समाज में रहते हैं। समाज में रहने पर विभिन्न प्रकार के लोगों के साथ सम्बन्ध भी पड़ता है। घर में अपने माता-पिता, पास-पड़ोस या मोहल्ले के लोगों के साथ या इष्ट-मित्र
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Inspirational Context: हम लोग समाज में रहते हैं। समाज में रहने पर विभिन्न प्रकार के लोगों के साथ सम्बन्ध भी पड़ता है। घर में अपने माता-पिता, पास-पड़ोस या मोहल्ले के लोगों के साथ या इष्ट-मित्र, स्कूल के सहपाठियों के साथ या राह चलते समय भी विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों के साथ हमें मिलना-जुलना पड़ता है।
यह मेल-जोल अच्छा हो और हमारा सामने वाले पर अच्छा प्रभाव पड़े इसके लिए शिष्टाचार का पालन जरूरी है। बड़ों को कभी तुम मत कहो उन्हें आप कहो और अपने लिए ‘मैं’ का प्रयोग मत करो हम कहो।
घर में बड़ों को सवेरे उठते ही प्रणाम करो। अपने से बड़े जो भी लोग मिलें, उन्हें भी प्रणाम करना चाहिए।
किसी की कोई भी चीज लेने से पहले उनसे पूछ लें क्योंकि वह किसी और की चीज है। चाहे वह चीज दोस्त, रिश्तेदार या माता-पिता का ही क्यों न हो, लेने से पहले पूछना जरूरी है। साथ ही जो चीज ली है, उसे ‘थैंक यू’ कहते हुए वापस करें।
घर में प्राइवेसी के मायने सीखने चाहिएं। आपको पता होना चाहिए कि किसी के कमरे में जाने से पहले सम्मान से दरवाजा खटखटाकर अंदर आने के लिए पूछना जरूरी है।
एक अध्ययन के अनुसार यदि आप अपनी किसी आदत से, चाहे यह खाने-पीने की ही क्यों न हो, पीछा छुड़ाना चाहते हैं तो ‘आई कांट’ कहने के बजाय ‘आई डोंट’ कहना ज्यादा सकारात्मक रवैये को व्यक्त करता है।
जैसे कि आपको कोई व्यंजन बिल्कुल भी पसंद नहीं है और उसे आप बिल्कुल भी खाना नहीं चाहते हैं तो इस स्थिति में ‘आई कांट’ कहने के बजाय ‘मैं यह नहीं खाता’ यानी ‘आई डोंट’ कहेंगे तो आपका ऐसा कहना आत्म नियंत्रण, स्व अधिकार और सकारात्मक बर्ताव की तरफ इशारा करता है।