Edited By Prachi Sharma,Updated: 12 Mar, 2025 03:00 AM

सुकरात अपनी विद्वता और विनम्रता के कारण काफी मशहूर थे। एक बार वह बाजार से गुजर रहे थे कि उनका एक परिचित मिला।
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Inspirational Context: सुकरात अपनी विद्वता और विनम्रता के कारण काफी मशहूर थे। एक बार वह बाजार से गुजर रहे थे कि उनका एक परिचित मिला।
उसने सुकरात को नमस्कार किया फिर कहा, ‘‘जानते हैं, कल आपका मित्र आपके बारे में क्या कह रहा था ?’’

सुकरात ने उसे बीच में ही टोका और बोले, ‘‘मित्र, मैं तुम्हारी बात जरूर सुनूंगा, पर पहले मेरे तीन छोटे-छोटे प्रश्नों के उत्तर दो।’’ उनके उस परिचित ने उन्हें हैरत से देखा, फिर इशारे से प्रश्न पूछने की अनुमति दी।
सुकरात बोले, ‘‘पहला प्रश्न यह है कि जो बात मुझे बताने जा रहे हो क्या वह पूरी तरह सही है ?’’
उस आदमी ने कुछ सोचा फिर कहा, ‘‘नहीं, मैंने यह बात सुनी है।’’ इस पर सुकरात बोले, ‘‘इसका मतलब तुम्हें पता ही नहीं कि वह सही है। खैर, क्या तुम जो बात मुझे बताने जा रहे हो वह मेरे लिए, अच्छी है ?’’
उस शख्स ने तत्काल कहा, ‘‘नहीं, वह आपके लिए अच्छी तो नहीं है। आपको उसे सुनकर दुख होगा।’’

इस पर सुकरात ने कहा, ‘‘अब तीसरा प्रश्न, तुम जो बात बताने जा रहे हो, क्या वह मेरे किसी काम की है?’’ उस व्यक्ति ने कहा, ‘‘नहीं तो, उस बात से आपका कोई काम नहीं निकलने वाला।’’
तीनों उत्तर सुनने के बाद सुकरात बोले, ‘‘ऐसी बात जो सच नहीं है, जिससे मेरा कोई भला नहीं होने वाला उसे सुनने से क्या फायदा ? और तुम भी सुनो।
जिस बात से तुम्हारा भी कोई फायदा नहीं होने वाला हो वैसी बेकार की बात तुम क्यों करते हो ?’’ यह सुनकर वह व्यक्ति लज्जित हो गया और चुपचाप वहां से चला गया।
प्रसंग का सार यह है कि व्यर्थ के कार्यों में अपनी ऊर्जा व समय नष्ट न करें।
