Edited By Sarita Thapa,Updated: 10 Mar, 2025 03:25 PM

Inspirational Context: जीवन में संतोष केवल तब कीजिएगा जब आपके पास अमीरी आ जाए। जब तक अमीरी न आए, तब तक संतोष नहीं। तब तक केवल पुरुषार्थ ही पुरुषार्थ करते रहिएगा।
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Inspirational Context: जीवन में संतोष केवल तब कीजिएगा जब आपके पास अमीरी आ जाए। जब तक अमीरी न आए, तब तक संतोष नहीं। तब तक केवल पुरुषार्थ ही पुरुषार्थ करते रहिएगा। जिंदगी में अंतिम श्वास तक पुरुषार्थ करते रहो, जिसके पास जीवन के सपने होंगे, ऊंचे लक्ष्य होंगे वहीं ऊंचा पुरुषार्थ कर सकेगा।
जीवन में जब तक पुरुषार्थ है तब तक अंतिम श्वास तक भी जीने का आनंद है। जीना एक स्वर्णम अवसर है। इस अवसर को सार्थक करो। अब तक मरे नहीं हैं केवल इसलिए जी रहे हैं तो सचमुच केवल टाइम पास हो रहा है। एक 70 वर्ष के व्यक्ति के पास न जीने का मकसद है, न कोई लक्ष्य है, न कोई कार्य, बस जी रहा है। रोजाना रोटी खा लेता है, सो जाता है। दिन गुजर रहे हैं, टाइम पास हो रहा है।

विदेशों में लोग धर्म तो कम करते हैं पर जीवन का सदुपयोग ज्यादा करते हैं इसलिए वहां का 70 वर्ष का व्यक्ति भी प्रतिदिन कर्म करता है और जब तक कोई व्यक्ति कर्म नहीं करता तब तक वह रोटी भी नहीं खाता। मुफ्त की रोटी मत खाओ, अपने घर के लिए कोई न कोई आहुति जरूर दो। अगर आप एक दादा हैं या बड़ी मां हैं अथवा एक बच्ची हैं, तो भी आहुति दो।
बच्ची घर में झाड़ू लगा सकती है, दादा जी बाजार से घर में सब्जियां ला सकते हैं। पड़दादा जी और कुछ नहीं कर सकते तो पोते को प्यार से खिला-पिलाकर अच्छे संस्कार तो दे ही सकते हैं। कुल मिलाकर आहुति होनी चाहिए। बिना आहुति के रोटी खाना अपने लिए अपराध या पाप समझो।
