Edited By Sarita Thapa,Updated: 04 Apr, 2025 03:02 PM
Inspirational Context: स्वामी विवेकानंद की बातों और विचारों से एक विदेशी महिला इतना प्रभावित हुई कि मन ही मन में उन्होंने स्वामी से शादी करने की ठान ली। उस महिला ने स्वामी से मिलने की भी बहुत कोशिश की लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
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Inspirational Context: स्वामी विवेकानंद की बातों और विचारों से एक विदेशी महिला इतना प्रभावित हुई कि मन ही मन में उन्होंने स्वामी से शादी करने की ठान ली। उस महिला ने स्वामी से मिलने की भी बहुत कोशिश की लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। कुछ समय बाद एक बार वह विदेशी महिला उस प्रोग्राम में पहुंच गई जहां स्वामी विवेकानंद भी मौजूद थे।
वह बिना किसी डर के स्वामी के पास पहुंची और कहा, “मैं आपसे शादी करना चाहती हूं।” महिला की बात को सुनकर स्वामी विवेकानंद ने उनसे सवाल किया कि आखिर आप मुझसे ही शादी क्यों करना चाहती हैं। मुझमें ऐसा क्या आपने देखा है?
स्वामी के सवाल का जवाब देते हुए उस विदेशी महिला ने कहा कि आपसे मैं बहुत प्रभावित हूं। आप बड़े ज्ञानी और गुणवान हैं। मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा भी बिल्कुल आपके जैसा ही हो। इसी वजह से मैं आपसे शादी करना चाह रही हूं। महिला की इस इच्छा को जानकर स्वामी ने महिला से कहा कि ऐसा होना असंभव है, क्योंकि मैं एक संन्यासी हूं। फिर उन्होंने आगे कहा कि भले ही मैं आपसे शादी नहीं कर सकता लेकिन आपकी इच्छा को पूरा कर सकता हूं। महिला ने स्वामी से पूछा कि यह कैसे होगा। स्वामी विवेकानंद ने कहा कि आप मुझे ही अपना बेटा मान लीजिए और मैं आपको मां मान लेता हूं। ऐसा करने से आपको मेरे जैसा ही बेटा मिल जाएगा।
स्वामी विवेकानंद की बातों को सुनते ही महिला उनके पैरों में गिर गई। उसने आगे कहा कि आप सचमुच बहुत बुद्धिमान हैं। मुझे आप पर गर्व है। ऐसा करकेस्वामी विवेकानंद ने खुद को अच्छा पुरुष साबित किया और सच्चे पुरुषार्थ का उदाहरण दिया। असली पुरुषार्थ वही होता है जब पुरुष के मन में नारी के लिए मां जैसा सम्मान का भाव होता है।