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Inspirational Context: घर परिवार की चिंता से आप भी हैं परेशान ?

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Apr, 2025 06:52 AM

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Inspirational Story: जीवन अस्थायी है, क्षणिक है, हाथ में बंधी हुई घड़ी न सिर्फ समय बताती है बल्कि टिक-टिक की ध्वनि द्वारा संकेत करती है कि जीवन निरंतर कट रहा, घट रहा है। आप जहां हैं, वहां के मालिक नहीं, बल्कि मेहमान हैं। मेहमान को जो आदर-सम्मान अथवा...

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Inspirational Story: जीवन अस्थायी है, क्षणिक है, हाथ में बंधी हुई घड़ी न सिर्फ समय बताती है बल्कि टिक-टिक की ध्वनि द्वारा संकेत करती है कि जीवन निरंतर कट रहा, घट रहा है। आप जहां हैं, वहां के मालिक नहीं, बल्कि मेहमान हैं। मेहमान को जो आदर-सम्मान अथवा साधन उपलब्ध होते हैं, रहने के लिए सुंदर व्यवस्था एवं खाने-पीने की जो तैयारियां होती हैं, उनमें वह अस्थायीपन को स्पष्ट देखता है और अपने ममत्व एवं लगाव को सीमित रखता है, क्योंकि वह जानता है कि यह मेरा अपना स्थान नहीं मेरा यहां से जाना निश्चित है। ठीक वैसी ही विचारधारा जीवन जीते समय अपने घर-परिवार के प्रति होनी चाहिए। इस संदर्भ में एक प्रेरक प्रसंग इस प्रकार है :

Inspirational Story

एक संन्यासी शहर से गुजर रहे थे। रात में देर हो गई, वह राजभवन के निकट पहुंचे और राजमहल के सिपाहियों से सहज ही बोले कि मुझे रात भर इस सराय में रहने की अनुमति दी जाए।

सिपाहियों ने कहा, ‘‘यह सराय नहीं राजा का राजमहल है।’’

संन्यासी ने कहा, ‘‘मेरी दृष्टि में तो सराय ही है।’’

चर्चा हो ही रही थी कि ऊपर से राजा ने देखा और नीचे आकर संन्यासी से कहा, ‘‘यह सराय नहीं मेरा राजमहल है।’’

Religious Katha


तब संन्यासी ने मुस्कराकर कहा कि यही बात बीस साल पहले तुम्हारे दादा ने कही, फिर दस साल पहले तुम्हारे पिता ने और तुम भी इसी अहंकार में हो, परंतु जब इससे पूर्व स्वयं को इस महल का मालिक घोषित करने वालों का अब कोई अता-पता नहीं रहा तो इस बात की क्या गारंटी कि तुम मुझे अगली बार इसके मालिक के रूप से यहां मिल पाओगे?

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संन्यासी की बात सुनते ही राजा का विवेक जागा और वह कह उठा कि महाराज, हकीकत में मैं इसका मालिक नहीं, मेहमान ही हूं। यह राजमहल नहीं सराय ही है, जहां कुछ समय के लिए मुसाफिर आते-जाते रहते हैं। आज यहां पुण्यबल से ऐशोआराम का जीवन बिताते हैं, उसका अस्तित्व कितना है? जैसे बर्फ के किसी टुकड़े को रेगिस्तान की गर्मी में रख दिया जाए तो पिघलने में उसे कितनी देर लगेगी? बड़ा होगा तो घंटा-आधा घंटा और छोटा होगा तो पांच-दस मिनट कम परंतु पिघलना एवं समाप्त होना तो निश्चित है तथा सामाप्त होने के कुछ ही देर बाद वहां नामोनिशान भी नहीं रहेगा। यही बात संसार में आसक्त हर व्यक्ति पर लागू होती है।

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