Edited By Sarita Thapa,Updated: 21 Apr, 2025 03:33 PM
Inspirational Context: एक बार बादलों ने आपस में तय कर लिया कि वे अब जमीन पर नहीं बरसेंगे। प्रकृति भी मानवों से क्रुद्ध थी। मानव ने उसके समस्त नियमों का उल्लंघन जो शुरू कर दिया था।
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Inspirational Context: एक बार बादलों ने आपस में तय कर लिया कि वे अब जमीन पर नहीं बरसेंगे। प्रकृति भी मानवों से क्रुद्ध थी। मानव ने उसके समस्त नियमों का उल्लंघन जो शुरू कर दिया था। अब बादल उमड़ते-घुमड़ते आते और जलती धरती को देखकर वापस लौट जाते।
वे आपस में कहते, “मनुष्य को परमात्मा ने सृष्टि का सबसे श्रेष्ठ जीव बनाया परन्तु मानव छि:, अपने स्वार्थ में इतना खो गया कि उसने जीवन के सौंदर्य से झूमते पेड़ों को नृशंसता पूर्वक काट दिया। सिर्फ खुद जीने के लिए जिंदगी के हर चिन्ह मिटा दिए, अब इसे मिट जाना चाहिए।”
एक दिन बादल घूम रहे थे। सहसा उनकी नजर एक बालक पर पड़ी। प्रात: से ही भूख से उसकी आंतें कुलबुला रही थीं। अकाल के इस भयंकर समय में रोटी कहां से मिलती। सहसा उन्होंने देखा, एक छोटी-सी चिड़िया जो शायद प्यास के कारण मरने जा रही थी उसके सामने आ गिरी। उसके चोंच खुले हुए थे और वह निरीह दृष्टि से उस बच्चे की ओर देख रही थी। अपनी भूख मिटाने के लिए उस बच्चे के पास कुछ घूंट पानी ही शेष था। उसने एक बार पक्षी की ओर देखा और एक बार पानी की ओर। उसने पानी का गिलास उठाया और बूंद-बूंद कर पक्षी के खुले चोंच में डालने लगा। उसके कांपते हाथों से कुछ पानी जमीन पर गिरता तो कुछ पक्षी के चोंच में। धीरे-धीरे सारा पानी समाप्त हो गया परन्तु पक्षी ने अपनी आंखें खोल दीं और पंख फड़फड़ाने लगा। वह बच्चा मुस्कुराया और होश खोकर वहीं गिर पड़ा।
बादल यह सब देख रहे थे। उस नन्हे से मासूम का यह बलिदान देखकर वे रो पड़े। धरती का आंगन भीगने लगा। लोग मुस्कुराने लगे। बादलों ने भी एक-दूसरे को देखा और कहा, “जब तक खुद को दूसरों की खुशियों पर मिटाने वाले लोग हैं जिंदगी खत्म नहीं हो सकती।”