Edited By Prachi Sharma,Updated: 13 Dec, 2023 01:27 PM
एक बार तिरुवनंतपुरम में समुद्र के पास एक बुजुर्ग श्रीमद्भागवत गीता पढ़ रहे थे। तभी एक नास्तिक और होनहार नौजवान उनके पास आकर बैठा, उसने उन पर
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Inspirational Story: एक बार तिरुवनंतपुरम में समुद्र के पास एक बुजुर्ग श्रीमद्भागवत गीता पढ़ रहे थे। तभी एक नास्तिक और होनहार नौजवान उनके पास आकर बैठा, उसने उन पर कटाक्ष किया कि लोग भी कितने मूर्ख हैं विज्ञान के युग में गीता जैसी पुस्तक पढ़ रहे हैं।
उसने उन सज्जन से कहा कि आप यदि यही समय पर विज्ञान को दे देते तो अब तक देश न जाने कहां पहुंच चुका होता, उन सज्जन ने उस नौजवान से परिचय पूछा तो उसने बताया कि वह कोलकाता से है और विज्ञान की पढ़ाई की है अब वहां भाभा परमाणु अनुसंधान में अपना करियर बनाने आया है।
उसने कहा कि आप भी थोड़ा ध्यान वैज्ञानिक कार्यों में लगाएं। श्रीमद्भागवत गीता पढ़ते रहने से आप कुछ हासिल नहीं कर सकोगे।
सज्जन मुस्कराते हुए जाने के लिए उठे, उनका उठना था कि 4 सुरक्षाकर्मी वहां उनके आसपास आ गए, आगे ड्राइवर ने कार लगा दी जिस पर लाल बत्ती लगी थी।
लड़का घबराया और उसने उनसे पूछा, “आप कौन हैं ?”
उन सज्जन ने अपना नाम बताया ‘विक्रम साराभाई’ जिस भाभा परमाणु अनुसंधान में लड़का अपना करियर बनाने आया था उसके अध्यक्ष वही थे। उस समय विक्रम साराभाई के नाम पर 13 अनुसंधान केंद्र थे, साथ ही साराभाई को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने परमाणु योजना का अध्यक्ष भी नियुक्त किया था। अब शर्मसार होने की बारी लड़के की थी वो साराभाई के चरणों में रोते हुए गिर पड़ा। प्रसंग का सार यह है कि हमें ईश्वर को कभी नहीं भूलना चाहिए।