Edited By Prachi Sharma,Updated: 06 Apr, 2024 07:36 AM
तेत्सुजेन जापान के बहुत बड़े संत थे। उनके जीवन की एक घटना है। बौद्ध सूत्रग्रंथ तब केवल चीनी लिपि में मिलते थे। तेत्सुजेन उन्हें जापानी लिपि में मुद्रित कराना चाहते थे। इसके लिए
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Inspirational Story: तेत्सुजेन जापान के बहुत बड़े संत थे। उनके जीवन की एक घटना है। बौद्ध सूत्रग्रंथ तब केवल चीनी लिपि में मिलते थे। तेत्सुजेन उन्हें जापानी लिपि में मुद्रित कराना चाहते थे। इसके लिए वह चंदा एकत्र करने लगे।
वह नगर-नगर एवं गांव-गांव जाते और धन की याचना करते। उन्हें इसके लिए पर्याप्त धन जुटाने में दस वर्ष लगे, किंतु तभी यू.पी. नदी में बाढ़ आ गई। तेत्सुजेन ने सारा धन बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लगा दिया। वह फिर चंदा जुटाने में लग गए, फिर दस वर्ष लग गए, किंतु तभी महामारी फैल गई और तेत्सुजेन ने सारा धन महामारी से पीड़ित लोगों की सेवा में लगा दिया। वह फिर धन जुटाने में लग गए, इस बार उन्हें पर्याप्त धन जुटाने में बीस वर्ष लग गए। तब सूत्रग्रंथ जापानी में छपा, अत्यंत सुंदर।
आज भी जापानी गृहस्थ अपने बच्चों को गर्व से बताते हैं कि तेत्सुजेन ने सूत्रग्रंथ के तीन संस्करण छपवाए थे, पहले दो संस्करण अदृश्य थे और तीसरे से भी अधिक सुंदर थे।