Edited By Prachi Sharma,Updated: 24 May, 2024 12:01 PM
एक बार राजा भोज की सभा में एक धनी व्यापारी आया। उसे देखकर राजा भोज के मन में न जाने क्यों उसकी संपत्ति
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Inspirational Story: एक बार राजा भोज की सभा में एक धनी व्यापारी आया। उसे देखकर राजा भोज के मन में न जाने क्यों उसकी संपत्ति जब्त करने का विचार आया।
उसके जाने के बाद राजा भोज ने सोचा कि मुझे तो हमेशा अपनी प्रजा के कल्याण के बारे में सोचना चाहिए था, मेरे मन में यह कलुषित विचार क्यों आया ?
उसने अपने मंत्री से इस बारे में चर्चा की। मंत्री ने उस व्यापारी से मिलने की ठानी और मिलकर उससे उसके व्यवसाय के बारे में जानकारी ली।
व्यापारी ने कहा, मैं उत्तम दर्जे की चंदन की लकड़ी का व्यापार करता हूं। बहुत दिन से माल नहीं बिक रहा था। मेरे मन में न जाने क्यों ऐसा ख्याल आ रहा था कि यदि यहां का राजा गुजर जाए तो मेरा चंदन की लकडिय़ों का जमा स्टॉक पूरा बिक जाएगा। मंत्री ने उसकी दिक्कत समझते हुए उसे राज परिवार के किचन के लिए रोज 40 किलो चंदन की लकड़ी भेजने का ऑर्डर दे दिया। ऑर्डर पाकर व्यापारी बहुत खुश हुआ और अब वह राजा की दीर्घायु की कामना करने लगा, ताकि उसका व्यवसाय हमेशा इसी तरह अच्छा चलता रहे।
एक दिन वह फिर से किसी कार्यवश राज दरबार में आया। उसकी सुंदरता देखकर राजा के मन में उसे पुरस्कृत करने का विचार आया।
इस बार राजा ने फिर से मंत्री से इस बात की चर्चा की कि पहले उस व्यापारी के विषय में जो विचार आया था, इस बार ठीक उसके विपरीत विचार आया है, ऐसा क्यों ? मंत्री ने राजा को सारी वस्तुस्थिति बताते हुए कहा कि उस व्यापारी की आपके प्रति जो भावनाएं थीं वह आपके विचारों में प्रतिबंबित हो रही थीं।
अत: हमें सदैव सबकी भलाई के लिए अच्छा ही सोचना चाहिए।