Edited By Prachi Sharma,Updated: 03 Sep, 2024 07:47 AM
पुराने समय में एक राजा था। वह अक्सर अपने दरबारियों और मंत्रियों की परीक्षा लेता रहता था। एक दिन राजा ने अपने तीन मंत्रियों को दरबार में बुलाया और उन्हें आदेश दिया कि एक-एक थैला लेकर बगीचे
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Inspirational Story: पुराने समय में एक राजा था। वह अक्सर अपने दरबारियों और मंत्रियों की परीक्षा लेता रहता था। एक दिन राजा ने अपने तीन मंत्रियों को दरबार में बुलाया और उन्हें आदेश दिया कि एक-एक थैला लेकर बगीचे में जाएं और वहां से अच्छे-अच्छे फल तोड़कर लाएं। तीनों मंत्री एक-एक थैला लेकर अलग-अलग बाग में गए।
बाग में जाकर एक मंत्री ने सोचा कि राजा के लिए अच्छे-अच्छे फल तोड़कर ले जाता हूं ताकि राजा को पसंद आएं। उसने चुन-चुन कर अच्छे-अच्छे फलों को तोड़ कर अपने थैले में भर लिया।
दूसरे मंत्री ने सोचा कि राजा को कौन-सा फल खाने हैं ? वह तो फलों को देखेगा भी नहीं। ऐसा सोचकर उसने अच्छे-बुरे जो भी फल थे, जल्दी-जल्दी तोड़कर अपना थैला भर लिया।
तीसरे मंत्री ने सोचा कि समय क्यों बर्बाद किया जाए, राजा तो मेरा भरा हुआ थैला ही देखेगा। ऐसा सोचकर उसने घास फूस से अपने थैले को भर लिया।
अपना-अपना थैला लेकर तीनों मंत्री राजा के पास लौटे। राजा ने बिना देखे ही अपने सैनिकों को उन तीनों मंत्रियों को एक महीने के लिए जेल में बंद करने का आदेश दे दिया और कहा कि इन्हें खाने के लिए कुछ नहीं दिया जाए। ये अपने फल खाकर ही अपना गुजारा करेंगे।
अब जेल में तीनों मंत्रियों के पास अपने-अपने थैले के अलावा और कुछ नहीं था। जिस मंत्री ने अच्छे-अच्छे फल चुने थे वह बड़े आराम से फल खाता रहा और उसने बड़ी आसानी से एक महीना फलों के सहारे गुजार दिया।
जिस मंत्री ने अच्छे-बुरे गले-सड़े फल चुने थे वह कुछ दिन तो आराम से अच्छे फल खाता रहा लेकिन उसके बाद सड़े-गले फल खाने की वजह से वह बीमार हो गया। उसे बहुत परेशानी उठानी पड़ी और बड़ी मुश्किल से उसका एक महीना गुजरा। लेकिन जिस मंत्री ने घास-फूस से अपना थैला भरा था वह कुछ दिनों में ही भूख से मर गया।
इस प्रसंग से हमें सीख मिलती है कि हम जैसा करते हैं हमें उसका वैसा ही फल मिलता है।