Edited By Prachi Sharma,Updated: 08 Dec, 2024 06:00 AM
महात्मा अबुल हसन नूरी बगदाद के मशहूर विद्वान और सूफी संत थे। उन्होंने ध्यान और कठिन तपस्या से अपना अलग स्थान बना लिया था। वह भक्ति में इतने लीन रहते थे कि
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Inspirational Context: महात्मा अबुल हसन नूरी बगदाद के मशहूर विद्वान और सूफी संत थे। उन्होंने ध्यान और कठिन तपस्या से अपना अलग स्थान बना लिया था। वह भक्ति में इतने लीन रहते थे कि उन पर बाहरी कष्ट का प्रभाव भी बहुत कम होता था।
एक बार संत अबू हसन के पास एक व्यक्ति आया। वह बोला, “मैं गृहस्थी के झंझटों से बहुत परेशान हो गया हूं। पत्नी-बच्चों से मेरी पटती नहीं है।
मैं सब कुछ छोड़कर साधु बनना चाहता हूं। आप अपने पहने हुए साधु वाले वस्त्र मुझे दे दीजिए जिससे मैं भी आप की तरह साधु बन सकूं।”
उसकी बात सुनकर अबू हसन मुस्कुराकर बोले, “क्या किसी पुरुष के वस्त्र पहनकर कोई महिला पुरुष बन सकती है या किसी महिला के वस्त्र पहनकर कोई पुरुष महिला बन सकता है ?”
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।”
संत ने उसे समझाया, “साधु बनने के लिए वस्त्र नहीं स्वभाव बदलना पड़ता है।
अपना स्वभाव बदलो। फिर तुम्हें गृहस्थी भी झंझट नहीं लगेगी। बात उस व्यक्ति की समझ में आ गई। उसने अपना स्वभाव बदलने का संकल्प लिया।”