Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Jan, 2025 02:45 PM
राजस्थान के प्रसिद्ध विद्वान पंडित टोडरमल ने एक बार ग्रंथ लिखने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने अपना पूरा ध्यान पठन-पाठन और लेखन पर केंद्रित कर लिया।
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Inspirational Story: राजस्थान के प्रसिद्ध विद्वान पंडित टोडरमल ने एक बार ग्रंथ लिखने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने अपना पूरा ध्यान पठन-पाठन और लेखन पर केंद्रित कर लिया। कार्य करते हुए उन्हें दिन-महीनों का पता ही नहीं चला। काफी समय बीत गया। एक दिन वह अपनी मां के साथ भोजन करने बैठे। मां ने बड़े प्रेम से टोडरमल को सब्जी परोसी, चपातियां दीं और खाने के लिए कहा।
टोडरमल ने एक टुकड़ा खाया, फिर दूसरा टुकड़ा खाया और खाते-खाते रुक गए।
यह देखकर उनकी मां बोली, “बेटा क्या बात है ? क्या तुम्हें आज मेरी बनी सब्जी पसंद नहीं आई।”
मां की बात सुनकर टोडरमल सहजता से बोले, “नहीं मां, ऐसी बात नहीं है। पर मुझे लग रहा है कि आज आप सब्जी में नमक डालना भूल गई हैं।”
बेटे की बात सुनकर मां उन्हें हैरानी से देखने लगी।
टोडरमल ने पूछा, “मां क्या हुआ ? क्या मैंने कोई गलत बात कह दी। आप मुझे इतनी हैरानी से क्यों देख रही हैं ?”
यह सुनकर मां मुस्कुरा कर बोली, “बेटा, मैं तेरे सवाल का जवाब अवश्य दूंगी। पहले मुझे यह बता कि क्या आज तेरा ग्रंथ पूरा हो गया है ?”
टोडरमल प्रसन्न होकर बोले, “हां मां, आज मेरा ग्रंथ पूरा हो गया है इसलिए मैं चैन की सांस ले पा रहा हूं।” फिर वह मां की ओर देखकर बोले,“पर मां तुम्हें यह कैसे पता चला कि मेरा ग्रंथ पूरा हो गया है मैंने तो अभी इस बारे में तुम्हें कुछ बताया ही नहीं।”
इस पर मां बोली, “बेटा, दरअसल मैं कई दिनों से सब्जी में जान-बूझकर कुछ कमी छोड़ती थी कि इसी बहाने तुम मुझसे कुछ देर बात करोगे। लेकिन तुम अपने काम में इतने मग्न थे कि तुम्हें सब्जी में कमी का पता ही न चला।” टोडरमल का वह ग्रंथ ‘मोक्षमार्ग’ अत्यंत प्रसिद्ध हुआ।
अपना कार्य सच्ची लगन से करने वालों को सफलता अवश्य मिलती है।