Edited By Sarita Thapa,Updated: 03 Feb, 2025 12:38 PM
Inspirational Story: एक दानवीर राजा था। राजा की दानशीलता की ख्याति सुनकर एक संत उनके राज्य में आए। वह राजा से मिलने राजमहल पहुंचे और वहां दान लेने वालों की कतार में बैठ गए।
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Inspirational Story: एक दानवीर राजा था। राजा की दानशीलता की ख्याति सुनकर एक संत उनके राज्य में आए। वह राजा से मिलने राजमहल पहुंचे और वहां दान लेने वालों की कतार में बैठ गए। राजा ने दान देने के लिए दो कर्मचारी नियुक्त कर रखे थे। जब संत की बारी आई तो वह कर्मचारी से बोले, “भाई मैं आपके हाथ से नहीं, राजा के हाथ से दान लूंगा, अन्यथा खाली हाथ ही लौट जाऊंगा।”
राजा का सख्त आदेश था कि कोई भी याचक खाली हाथ न लौटे। अत: संत की राजा से भेंट करवाई गई। राजा ने हाथ जोड़कर संत से उनकी इच्छा पूछी।
तब संत बोले, “राजन मुझे बस इतना धन चाहिए जिससे मैं स्वर्ग जा सकूं।” राजा ने हैरानी से पूछा, “महात्मन! धन से आप स्वर्ग कैसे जा सकते हैं? कृपया स्पष्ट करें।”
तब संत ने समझाया, “राजन मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि केवल दान देने से न तो आप सुखी हो पाएंगे और न ही भिक्षा मांगने वालों के जीवन में कोई परिवर्तन हो पाएगा। आप दान देते रहे तो एक दिन राजकोष खाली हो जाएगा, लेकिन भिक्षा मांगने वालों की कतार कम नहीं होगी।”
राजा ने उपाय पूछा, तो संत ने कहा, “आप जो धन दान में खर्च करते हैं, उससे लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराएं। इससे उन लोगों को काम मिलेगा, जो आज भिक्षावृत्ति पर पलने के आदी हो चुके हैं। आपने उन्हें जो सुविधाएं दी हैं उससे कामचोर हो गए हैं। आप उन्हें परिश्रम करना सिखाइए, यही सच्चा दान होगा।” संत की सीख सुनकर राजा संतुष्ट हो गया।